औरैयाः संवाददाता- ऋषि तिवारी
औरैयाः औरैया के यमुना किनारे बने मां करण देवी मंदिर की मान्यता है कि यहां पर राजा करण प्रतिदिन तेल के गर्म कडाव में कूद कर देवी को प्रसन्न करते थे। प्रसन्न होकर देवी उन्हे सवा मन सोना देती थी। राजा उस सोने को अपनी प्रजा में दान करते थे।
राजस्थान के राजा ने बनवाया किलाः
जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी ने बताया कि पहले यहां कुछ नहीं था। राजस्थान के डहार से आए राजा ने यहां किला बनवाया और राज्य किया। राजा करण देवी मां को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन तेल के गर्म कड़ाव में कूदकर देवी मां को प्रसन्न करते थे। गर्म तेल में कूदने पर राजा की मौत हो जाती थी। जिसके बाद प्रसन्न होकर देवी उनके ऊपर अमृत छिड़क कर जीवित करती थी। राजा को वरदान में प्रतिदिन सवा मन सोना देती थी. जिसे राजा दान करते थे।
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विक्रमादित्य ने मंदिर में घंटा बजाने की नौकरी
उज्जैन के राजा विक्रमादित्य को पता चला कि ऐसा कोन सा राजा है जो प्रतिदिन जीवित होता है, और प्रतिदिन मरता है। तो वह इस बात का पता लगाते हुए यहां पर आए। जिसके बाद राजा विक्रमादित्य ने मंदिर में घंटा बजाने की नौकरी करने लगे।
एक दिन राजा विक्रमादित्य ने वही किया जो राजा करण करते थे। विक्रमादित्य भी पूजा पाठ करके खोलते हुए गर्म तेल के कडाव में कूद गए। मां ने न पहिचानते हुए प्रसन्न होकर आई वरदान मांगने को कहा। जिसके बाद राजा विक्रमादित्य ने वरदान में माता से अपने साथ उज्जैन नगरी दर्शन के लिए चलने को कहा। मां वचन के अनुसार दर्शन देने के लिए उनके साथ चली गई।
चरणों की होती है यहां पूजा
जब राजा विक्रमादित्य माता को उज्जैन नगरी ले गए। तो राजा कर्ण ने सेवा के लिए उनके चरण मांग लिए तभी से यहां पर मां के चरणों की पूजा होनी लगी। मान्यता है कि जो भक्त सच्चें मन से मां के चरणों की सेवा करता है। उसकी मनोकामना हमेशा पूरी होती है।