Bihar News: स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार समिति ने वर्ष 2024 के लिए स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार की घोषणा कर दी है। इस बार यह पुरस्कार बिहार के प्रसिद्ध शिक्षक खान सर (Khan sir) को दिया जाएगा। शिक्षा के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय कार्य के लिए उन्हें यह सम्मान मिलेगा। समिति के अध्यक्ष डॉ. मुकेश राजपूत ने इस पुरस्कार की घोषणा की और बताया कि यह पुरस्कार बिहार के सारण जनपद के सुहाई गजन गांव निवासी अंकित पांडेय के प्रस्ताव पर दिया जाएगा।
खान सर का शिक्षा क्षेत्र में योगदान
खान सर, जिनका वास्तविक नाम फैजल खान है, बीते कई वर्षों से आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को निशुल्क यूपीएससी, पुलिस, रेलवे, एसएससी, नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करा रहे हैं। उनके इस समर्पित प्रयास के लिए उन्हें स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। सचिव नरेंद्र सिंह लोधी ने बताया कि पुरस्कार समारोह 13 सितंबर को स्वामी ब्रह्मानंद के निर्वाण दिवस पर ब्रह्मानंद डिग्री कॉलेज के अखंड मंदिर में आयोजित होगा।
इससे पहले, स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार से शिक्षाविद डॉ. अरुण प्रकाश, सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार, संत हरवंश सिंह निर्मल और रंजीत यादव को सम्मानित किया जा चुका है। इस साल खान सर को यह पुरस्कार मिलना उनके शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान की पुष्टि करता है।
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खान सर की सफलता की कहानी
पटना के खान सर यूट्यूब पर एक प्रमुख शिक्षक के रूप में उभरे हैं। उनकी एक वीडियो को लाखों लोग देखते हैं और शेयर करते हैं। अपने देसी और सहज अंदाज में पढ़ाने के चलते वे चर्चा का विषय बने। हालांकि, उनकी सफलता की राह आसान नहीं रही। शुरुआत में उन्होंने कोचिंग इंस्टिट्यूट खोला, जो विफल हो गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और यूट्यूब पर खान जीएस रिसर्च सेंटर नाम से एक चैनल शुरू किया। कोरोना काल के दौरान भारत के लोगों ने इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग किया, और इस दौरान खान सर की वीडियो ने लोकप्रियता हासिल की। उनके चैनल पर लगभग 2 करोड़ फॉलोवर्स हैं। वे अपनी सरलता और गहन रूचि के साथ करेंट अफेयर्स और जीएस के विषयों को समझाते हैं, जो दर्शकों को बहुत पसंद आता है।
खान सर की कहानी प्रेरणा से भरपूर है। उनकी सफलता दिखाती है कि कड़ी मेहनत और निरंतरता से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। उनकी शिक्षा के प्रति समर्पण और विद्यार्थियों के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा उन्हें समाज में एक आदर्श शिक्षक के रूप में प्रस्तुत करती है। स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार के लिए उनका चयन इस बात का प्रमाण है कि उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें एक अमूल्य शिक्षा सिपाही बना दिया है।