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प्रदेश में हमारी सुरक्षा और कानून व्यावस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे पुलिसविभाग में सुसाईड़ के मामले बढ़ते जा रहे हैं। आये दिन पुलिस कार्मियों की आत्महत्यैओं के मामले जिस तरह सामने आ रहे है। उससे पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में हैं, सवाल ये है कि क्या पुलिसकर्मीयों को प्रयाप्त सुविधाये नहीं मिल रही हैं, या पुलिसकर्मी दबाव में सेवायें दे रहे हैं। इन सभी सवालों के जवाब के लिए देखिए हमारी ये खास पड़ताल।
खतरे में खाकी…
यूपी पुलिस यानी देश के सबसे बड़े प्रदेश के जांबाज पहरेदार एशिया का सबसे बड़ा पुलिस संगठन इन्हीं जांबाजों के मजबूत कंधों ने सूबे की कानून व्यवस्था को देशभर में बखान करने लायक बनाया है। जिस खाकी का खयाल आते ही प्रदेशवासी सलामती का अहसास करते हैं। उन्ही खाकीधारियों को अचानक न जाने किस काल की टेढ़ी नजर लग गई है, क्योंकि एक तरफ यूपी पुलिस प्रदेश से अपराधियों का सफाया कर रही है। तो दूसरी तरफ प्रदेश के खातेदारियों में आत्महत्याओं का भी सिलसिला बड़ा है।
अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या है, कि अपनी कर्तव्यों की राह पर चलकर शहादत देने वाले पुलिस के जवान आत्महत्या करने पर उतर आए हैं। क्या काम का दबाव अतिरिक्त जिम्मेदारी या किसी मानसिक कष्ट का शिकार हो रही है खाकी इस रिपोर्ट के जरिए आज हम दम तोड़ते खाकी के खास वजहों की तह तक ले जायेंगे। जहां हम आरक्षण के अकाल मौत की पुख्ता जवाब तलाश की कोशिश करेगें।
उत्तर प्रदेश पुलिस 2.5 लाख कर्मियों के साथ विश्व का सबसे बड़ा पुलिस संगठन है। इतनी ग्लैमरेस जॉब के बावजूद पुलिस कार्मियों के आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे है जिससे सभ्यसमाज विचलित हो रहा है। बीते छ: माह में पुलिस कार्मियों के आत्महत्याओं के मामले जो सामने आ रहे हैं। वो देश की व्यवस्था के साथ समाज के लिए चिंता का विषय है।
ख़ाकी और खुदखुशी…
20 आक्टूबर-उन्नाव में महिला सिपाही ने लगाई फांसी।
26 आगस्त-कासगंज में SI ने खुद को मारी गोली।
16 आगस्त–मुरादाबाद में पंखे से लटका मिला कांस्टेबल।
15 आगस्त-संभल में कांस्टेबल ने फांसी लगाकर दी जान।
26 जुलाई- लखनऊ में दारोगा ने खुद को मारी गोली।
29-जून- महराजगंज में कांस्टेबल फंदे से लटका मिला।
सवालों के घेरे में सिस्टम…
प्रदेश में लगातार हो रही इन आत्महत्यों के पीछे सबकी अलग अलग वजह हैं, लेकिन प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में खुद को खत्म करने का सिलसिला लगातार जारी है। वही अगर पुलिसवालों बढ़ती आत्महत्या का करण जानने की कोशिश की जाये तो कई अलग-अलग मामले सामने निकल कर आये है। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें पुलिसवालों को कहीं न कहीं राजनेताओं और अधिकारियों के दबाव में काम करना होता है, उन्हें दबाव में कभी कभी अपनी ड्यूटी से और अपने ईमान से समझौता करना पड़ता है। कुछ पुलिसवाले इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते और या तो नौकरी छोड़ देते हैं या फिर अपनी जान दे देते।
खाकी में क्यों सुविधाओं का आभाव?
वही कई मामले में ऐसा भी देखा गया है कि पुलिसवालों की शिकायत रहती है कि उन्हें काफी दबाव में और कई घंटे लगातार काम करना पड़ता है। 24 घंटे में किसी भी वक्त ड्यूटी पर लगा दिया जाना। त्योहारों में छुट्टी ना मिलना, प्रोत्साहन की कमीं पुलिस अधिकारियों द्वारा अपने जूनियर का शोषण करना भी इनमें से एक कारण हो सकता है, साथ ही पुलिस महेकमें में खानपान को भी लेकर कई बार खबरें निकलकर कर सामने आती रही है। अखिर क्या सुविधाओं का आभाव ही दवाव की वजह तो नहीं हैं।
यूपी में पुलिसकर्मीयों की आत्महत्याएं यह बताने के लिए काफी हैं, कि पुलिसकर्मी काफी तनाव और मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं। बीते कुछ माह में यूपी के कई हिस्सों से दुखद घटनाएं सामने आई हैं। मानसिक रोग विशेषज्ञों का कहना है, कि पुलिसकर्मी ऐसा कदम काम के दबाव में ही उठाते हैं।