उ0प्र (लखनऊ): संवाददाता – मोहम्मद कल
- सिर व शरीर के अन्य अंगों में आई गंभीर चोटें
लखनऊ। केजीएमयू के पुराने ओपीडी भवन की तीसरी मंजिल से खेल रही चार साल की एक बच्ची नीचे फर्श पर गिर गई। फर्श पर गिरने से खून से लथपथ बच्ची को देखकर चीख पुकार मच गई। आनन-फानन में परिवारीजनों व सुरक्षा कर्मियों ने बच्ची को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया है जहां उसकी हालत नाजुक बताई गई है। उसके सिर व शरीर के अन्य अंगों में गंभीर चोटें आई हैं। एम्बुबैग के सहारे मासूम को सांसें दी जा रही हैं। इधर, बेटी को खून से लथपथ देखकर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था।
गोण्डा के परसौना गांव निवासी जुबैर की बेटी माही सबा (4) की आंखों का इलाज केजीएमयू में चल रहा है। बीती 13 फरवरी को उसकी आंख का ऑपरेशन हुआ था। पिता जुबैर के मुताबिक बेटी को मोतियाबिंद था। ऑपरेशन के बाद रूटीन जांच के लिए परिवारीजन माही को लाए थे। पुराने ओपीडी भवन के तीसरे तल पर नेत्र रोग विभाग की ओपीडी का संचालन होता है। डॉक्टर की सलाह पर सुबह करीब नौ बजे माही की आंख में दवा डाली गई थी। इसी दौरान मां अपने दूसरे बच्चों को संभालने लगीं और माही खेलते हुए रैम्प के पास पहुंच गई। परिवारीजनों का कहना है कि पैर फिसल गया और वह तीसरे तल से सीधे भूतल पर जा गिरी।
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घायल बच्ची को आनन- फानन ट्रामा सेंटर मे कराया गया भर्ती
अमृत फार्मेसी के सामने बच्ची फर्श पर गिरते ही खून से लथपथ हो गई। यह देख दवा खरीदने के लिए खड़े लोग सन्न रह गए। आनन-फानन में गार्डों ने बच्ची को उठाया। तब तक परिवारीजन भी नीचे आ गए। बच्ची को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टरों ने खून व रेडियोलॉजी से संबंधित दूसरी जांचें कराई। जांच में सिर में गंभीर चोटे बताई गई हैं। शरीर के दूसरे अंगों में भी चोटें आई हैं। सांस लेने में तकलीफ की वजह से डॉक्टरों ने बच्ची को एम्बुबैग का सहारा दिया। केजीएमयू के डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची का इलाज चल रहा है। 24 से 48 घंटे बच्ची की सेहत के लिए अहम हैं।
बच्ची की हालत नाजुक
घायल बच्ची को आनन- फानन ट्रामा सेंटर मे कराया गया भर्तीट्रॉमा सेंटर प्रभारी डॉक्टर संदीप तिवारी ने बताया कि करीब तीन साल की बच्ची ओपीडी बिल्डिंग से अचानक नीचे गिर गई थी। उसे गंभीर हेड इंजरी हुई हैं। उसको फिलहाल इंक्यूबेट किया गया है। अभी भी उसकी हालत गंभीर बनी हुई हैं। वहीं, केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि चार वर्षीय बच्ची के सिर में चोट आई है। पीआईसीयू में डॉ. चंद्रकांता की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है। हालांकि बच्ची की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है किंतु अभी स्थिति नाजुक बनी हुई है।
केजीएमयू के पुराने ओपीडी में सुरक्षा इंतजाम के दावे हवा-हवाई
केजीएमयू के पुराने ओपीडी भवन में मरीजों की जान हमेशा जोखिम में रहती है। सुरक्षा इंतजाम के दावे हवा-हवाई हैं। रैंप के पास रेलिंग असुरक्षित है। छोटे बच्चों के लिए तो यह बेहद खतरनाक है। सुरक्षाकर्मी तक नहीं लगाए गए हैं, जो लोगों को एहतियात बरतने के लिए आगाह कर सकें।
केजीएमयू की ओपीडी में रोजाना सात से आठ हजार मरीज आ रहे हैं। पुराने भवन में मेडिसिन, नेत्र, ईएनटी समेत दूसरे विभागों का संचालन हो रहा है। यहां हजारों मरीज का दबाव रहता है पर ओपीडी में बदइंतजामी हावी है। इसका खामियाजा बेबस बच्ची को भुगतना पड़ा। नए ओपीडी ब्लॉक में भी मरीजों के लिए दुश्वारियां कम नहीं हैं। मरीजों का दबाव होने के बावजूद सुरक्षा इंतजाम नाकाफी हैं। खुले इलाके में रस्सी का जाल जरूर डाल रखा है लेकिन जीने के पास जोखिम बरकरार है।