Kerala Wayanad Landslide: केरल (Kerala) में मंगलवार देर रात आई भूस्खलन की वजह से 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस त्रासदी ने राज्य को हिला कर रख दिया है। भूस्खलन की घटनाएं मुंडक्कई और चूरलमाला इलाकों में तड़के दो बजे से चार बजे के बीच हुईं, जब लोग अपने घरों में सो रहे थे। इससे उन्हें बचने का मौका नहीं मिला। केरल में इस आपदा के बाद दो दिनों के लिए राजकीय शोक की घोषणा की गई है। बुधवार को भी राहत-बचाव कार्य जारी है। प्रभावित इलाकों में डॉक्टरों की टीम मौजूद है, जो घायलों का इलाज कर रही है। वायनाड का दौरा करने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी निकल चुके हैं।
300 से ज्यादा मकान क्षतिग्रस्त
भूस्खलन की घटनाओं में 300 से ज्यादा मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 180 से अधिक लोग लापता हैं और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। NDRF के DIG मोहसेन शाहेदी ने बताया कि पहले दिन 150 लोगों को बचाया गया और अभी भी खोज और बचाव अभियान चल रहा है। केरल में भारी बारिश के कारण नदियों और बांधों में जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है। केएसईबी से बांधों के क्षमता से ज्यादा भरने की सूचना मिली है। इडुक्की में जलस्तर 52.81 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जिससे चिंता बढ़ गई है। वायनाड के बाणासुर सागर बांध में जलस्तर 83.26 फीसदी बढ़ा है।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का दौरा
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन गुरुवार सुबह वायनाड पहुंचे। मुख्य सचिव वी वेणु और डीजीपी शेख दरवेश साहिब तिरुवनंतपुरम से हेलीकॉप्टर पर मुख्यमंत्री के साथ थे। सीएम विजयन ने कलपेट्टा में स्थिति की समीक्षा की और बाद में बचाव अभियान स्थलों का दौरा किया। इस भयानक आपदा ने केरल के लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत मिले।
राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग
केरल के मंत्री के राजन ने कहा, “यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है, 1600 से अधिक बल बचाव कार्यों में लगे हुए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं।” कांग्रेस सांसद जेबी माथेर ने कहा, “यह एक बड़ी त्रासदी है। अभी भी हम त्रासदी की भयावहता को मापने में असमर्थ हैं।” उन्होंने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की और पुनर्वास को महत्वपूर्ण बताया।
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सेना का अस्थायी पुल निर्माण
सेना के जवानों ने कई स्थानों पर अस्थायी पुलों का निर्माण किया है। मुंडक्कई में रस्सियों और सीढ़ियों की सहायता से एक लोहे के पुल का निर्माण हो रहा है। सेना के इंजीनियर्स इस 190 फुट (58 मीटर) लंबे और 24 टन भार क्षमता वाले पुल को बनाने में जुटे हैं, जिसे गुरुवार शाम तक पूरा होने की उम्मीद है। इस पुल के बन जाने से राहत-बचाव कार्यों में काफी मदद मिलेगी।
सरकार और प्रशासन को पुनर्वास और बचाव कार्यों में कोई कमी नहीं छोड़नी चाहिए। यह समय है जब हम सबको मिलकर काम करना होगा और इस त्रासदी से उबरने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा। भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए हमें अपनी तैयारियों को और मजबूत करने की आवश्यकता है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि हमें अपने पर्यावरण को संरक्षित रखना चाहिए और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सजग रहना चाहिए।
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