1 फरवरी को भारत सरकार का बजट पेश किया जाएगा, और इसके पहले सरकार के डिसइनवेस्टमेंट टारगेट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। सरकार के डिसइनवेस्टमेंट (निवेश में कमी) टारगेट के बढ़ने से कुछ प्रमुख स्टॉक्स में तेजी देखने को मिल सकती है। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी डिसइनवेस्टमेंट योजनाओं के तहत विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) में अपनी हिस्सेदारी को कम करने का लक्ष्य रखा था। इस बार भी उम्मीद जताई जा रही है कि…. सरकार इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाएगी, जिससे बाजार में कुछ स्टॉक्स को फायदा हो सकता है।
डिसइनवेस्टमेंट की प्रक्रिया और महत्व
डिसइनवेस्टमेंट की प्रक्रिया में सरकार अपने द्वारा नियंत्रित कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को घटाती है या फिर पूरी तरह से बेच देती है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को प्रतिस्पर्धी बनाना, सरकार के घाटे को कम करना, और निजी निवेशकों को आकर्षित करना है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने अपने डिसइनवेस्टमेंट टारगेट को कई बार संशोधित किया है, और अब यह देखने वाली बात होगी कि 2025-26 के बजट में इसके लिए क्या नए लक्ष्य घोषित होते हैं।
डिसइनवेस्टमेंट टारगेट का प्रभाव
अगर सरकार इस बजट में डिसइनवेस्टमेंट टारगेट को बढ़ाती है, तो कुछ विशेष कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है। विशेष रूप से उन कंपनियों के शेयरों में जिनमें सरकार की बड़ी हिस्सेदारी है और जिन्हें प्राइवेटाइजेशन के लिए चिन्हित किया गया है। इसके अलावा, सरकार द्वारा किए गए किसी भी बड़े डिसइनवेस्टमेंट से बेशक इन कंपनियों के शेयर की कीमतें बढ़ सकती हैं, क्योंकि इससे इन कंपनियों में विदेशी और घरेलू निवेशकों का विश्वास बढ़ता है।
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किन स्टॉक्स में हो सकती है तेजी?
BPCL (भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड): BPCL उन कंपनियों में से एक है जिस पर डिसइनवेस्टमेंट का असर सीधे देखने को मिल सकता है। सरकार ने BPCL में अपनी हिस्सेदारी को घटाने के लिए कदम उठाने की योजना बनाई है। अगर सरकार इसके लिए कदम उठाती है, तो इसके शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है।
Air India (एयर इंडिया): एयर इंडिया के निजीकरण के बाद इसका प्रदर्शन बेहतर हुआ है। सरकार ने इस कंपनी को प्राइवेट सेक्टर को बेच दिया, लेकिन अन्य कंपनियों में भी इसी तरह के कदम उठाए जा सकते हैं। एयर इंडिया की सफलता से अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइनों पर असर पड़ सकता है।
NTPC (नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन): NTPC जैसे पावर सेक्टर की कंपनियों में भी सरकार की हिस्सेदारी में कमी करने की संभावना है। ऊर्जा क्षेत्र में सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के कारण, NTPC के शेयरों में भी तेजी देखने को मिल सकती है।
NMDC (न्याशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन): NMDC जैसी माइनिंग कंपनियों में भी सरकार की हिस्सेदारी घटाने की संभावना जताई जा रही है। इन कंपनियों में डिसइनवेस्टमेंट से बाजार में हलचल हो सकती है।
Concor (कॉनकोर): भारतीय रेलवे की सहायक कंपनी कॉनकोर में भी सरकार अपनी हिस्सेदारी को बेच सकती है। इस कंपनी का प्रदर्शन भी भविष्य में बेहतर हो सकता है, अगर सरकार अपनी हिस्सेदारी घटाती है।
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बाजार पर संभावित प्रभाव
अगर सरकार बजट में डिसइनवेस्टमेंट टारगेट को बढ़ाती है और इन कंपनियों में हिस्सेदारी घटाने के कदम उठाती है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर पड़ सकता है। इससे विदेशी और घरेलू निवेशकों का विश्वास बढ़ सकता है और स्टॉक्स में तेजी आ सकती है। इसके अलावा, सरकार के डिसइनवेस्टमेंट से सरकारी खजाने में भी राशि जुड़ सकती है, जिससे वित्तीय घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।