Karnataka Legislative Assembly: कर्नाटक (Karnataka) विधानसभा में शुक्रवार सुबह एक अनोखा नजारा देखने को मिला। कई विधायक अपनी तकिया और चादर लिए सदन के अंदर ही आराम करते दिखे। ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं और चर्चा का विषय बनी हुई हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) में फर्जी जमीन आवंटन पर चर्चा की मांग की थी।
जब विपक्ष को इस पर चर्चा की अनुमति नहीं मिली, तो भाजपा विधायकों ने विधानसभा और विधान परिषद के अंदर ही दिन-रात धरना देने का एलान किया। भाजपा का आरोप है कि एमयूडीए के एक प्लॉट का आवंटन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) की पत्नी को भी किया गया है। पार्टी ने इस मुद्दे पर विधान सौधा में चर्चा की मांग की है।
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भाजपा का आरोप
भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल ने आरोप लगाया कि यह एमयूडीए घोटाला चार हजार करोड़ रुपये का है। जमीन के अधिग्रहण और प्लॉट के आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सिद्धारमैया, येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई के कार्यकाल में हुए सभी घोटालों की सच्चाई सामने आए। कर्नाटक में जारी इस तरह की सामंजस्य की राजनीति खत्म होनी चाहिए। हमारे पार्टी हाईकमान को समझना होगा कि इस राजनीति ने कर्नाटक में भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाया है। हमारी मांग है कि सिद्धारमैया इस्तीफा दें और इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए।”
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सत्तापक्ष पर गंभीर आरोप
भाजपा विधायक महेश तेंगीनकई ने कहा कि सत्तापक्ष चर्चा के लिए तैयार नहीं है। इसका मतलब है कि एमयूडीए में 100 प्रतिशत घोटाला हुआ है। अगर सत्तापक्ष चर्चा के लिए तैयार नहीं होता, तो हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा, “इस्तीफों को भूल जाइए, ये लोग तो बात करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। हमने कभी इतनी बुरी सरकार नहीं देखी।”
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भूमि आवंटन घोटाले का इतिहास
कर्नाटक में भूमि आवंटन घोटाला सुर्खियों में बना हुआ है। आरोप है कि मुख्यमंत्री की पत्नी 2021 में भाजपा के कार्यकाल के दौरान एमयूडीए की लाभार्थी थीं। उस समय मैसूर के प्रमुख स्थानों में 38,284 वर्ग फुट भूमि उन्हें उनकी 3.16 एकड़ जमीन के कथित अवैध अधिग्रहण के मुआवजे के रूप में आवंटित की गई थी। मैसूर के केसारे गांव में उनकी 3.16 एकड़ जमीन उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें उपहार में दी थी। मुआवजे के तौर पर दक्षिण मैसूर में एक प्रमुख इलाके में उन्हें जमीन दी गई, जिसकी कीमत केसारे गांव की जमीन की तुलना में काफी अधिक है। इस कारण मुआवजे की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत
सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने मैसूर के विजयनगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कर्नाटक के राज्यपाल, मुख्य सचिव और राजस्व विभाग के प्रधान सचिव को भी पत्र लिखकर विवाद की जांच की मांग की थी। कृष्णा ने आरोप लगाया कि मैसूर जिला कलेक्टर और अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती, उनके साल मल्लिकार्जुन, उपायुक्त, तहसीलदार, उप रजिस्ट्रार और एमयूडीए के कुछ अधिकारी भूमि आवंटन घोटाले में शामिल हैं।
अवैध भूमि खरीद का आरोप
स्नेहमयी ने अपनी शिकायत में कहा कि सिद्धारमैया के साले मल्लिकार्जुन ने अन्य सरकारी और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मदद से 2004 में अवैध रूप से जमीन खरीदी और जाली दस्तावेजों के आधार पर इसकी रजिस्ट्री कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्वती, मल्लिकार्जुन और एक अन्य व्यक्ति ने इन दस्तावेजों का इस्तेमाल एमयूडीए से जुड़े करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए किया।
कर्नाटक विधानसभा में विधायकों का धरना और एमयूडीए घोटाले पर मचा बवाल यह दर्शाता है कि हमारे राजनीतिक तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कितनी कमी है। यह मामला न केवल भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि किस तरह से राजनीतिक हस्तक्षेप और व्यक्तिगत लाभ के लिए सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग किया जाता है।
इस तरह के मामलों में जांच और न्यायिक प्रक्रिया का निष्पक्ष और त्वरित होना अत्यंत आवश्यक है। केवल सीबीआई जांच ही नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र न्यायिक आयोग का गठन भी होना चाहिए, जो इन सभी आरोपों की विस्तृत और निष्पक्ष जांच करे। जनता का विश्वास बहाल करने के लिए यह आवश्यक है कि दोषियों को कड़ी सजा मिले और ऐसे मामलों में भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार के भ्रष्टाचार में लिप्त न हो।