कानपुर संवाददाता: उत्कर्ष सिंह
कानपुर : कानपुर देहात मे महज़ कुछ दिन कि प्रक्टिस कर एक कक्षा 9 मे पढ़ने वाली छात्रा का स्टेट लेवेंल बाक़सिंग मे सेलेक्शन हो गया ख़ास बात ये कि कानपुर देहात ज़िले मे बाक़सिंग रिंग तो छोड़ दीजिये एक स्टेडियम तक नहीं है। छात्रा मैरिकॉम को अपना आइडल मानती है और भविष्य मे मैरिकॉम कि तरह शानदार बॉक्सर बनना चाहती है। वही नन्ही बॉक्सर ने बाक़सिंग गलवज़ पहन कर डी एम कानपुर देहात से भी दो दो हाथ किये और डी एम ने भी नन्ही बॉक्सर का लोहा माना है।
स्टेट लेवेंल बाक़सिंग मे हुआ सेलेक्शन
तस्वीर देखिये जिलाधिकारी कार्यालय मे बाक़सिंग ग़लवज़ पहन कर जिलाधिकारी से दो दो हाथ करती ये छात्रा ख़ुशी कश्यप है। ख़ुशी कि उम्र लगभग 13 साल है और ख़ुशी कानपुर देहात के रानियाँ क्षेत्र के क्षेत्रीय इंटर कालेज के कक्षा 9 मे पढ़ती है। ख़ुशी कश्यप का स्टेट लेवेंल बाक़सिंग मे सेलेक्शन हो गया हैँ । ख़ास बात ये कि ख़ुशी ने कुछ दिन ही गाँव के देसी तरीके से प्रक्टिस कि है। क्योंकि कानपुर देहात ज़िलें मे बाक़सिंग रिंग तो छोड़ दीजिये एक स्टेडियम तक नहीं है। ख़ुशी के सेलेक्शन से कॉलेज कि छात्राए भी उत्साहित है साथ ही कॉलेज का पूरा स्टाफ भी गौरवन्वित महसूस कर रहा है।
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मैरी कॉम की तरह बनना चाहती है खुशी
ख़ुशी अपना आइडल मशहूर बॉक्सर मैरिकाम को मानती है, और भविष्य मे मैरिकाम कि तरह अपना और अपने ज़िलें का नाम रौशन करना चाहती है ,ख़ुशी बताती है, कि महज़ कुछ दिन कि प्रक्टिस कि और उसका सेलेक्शन स्टेट लेवेंल बाक़सिंग मे हो गया ख़ुशी को अब कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन का सपोर्ट तो मिल ही रहा है, साथ ही घरवाले भी ख़ुशी को बाक़सिंग कि दुनिया मे बुलंदी के शिखर पर देखना चाहते है। कल ख़ुशी बुलंदशहर मे स्टेट लेवेंल बाक़सिंग चैम्पियनशिप मे लेगी हिस्सा ।
DM से की दो दो हाथ
सेलेक्शन के बाद ख़ुशी कानपुर देहात कि जिलाधिकारी नेहा जैन ने बाक़सिंग ग़लवज़ पहन कर ख़ुशी से दो दो हाथ किये और ख़ुशी को गले लगाकर उसके उज्जवल भविष्य कि कामना कि डी एम ने कहा कि सरकार भी बेटियों के लिए फ़िक्रमन्द है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सरकार का नारा है । सरकार स्कूल फॉर स्पोर्ट्स योजना चला रही जो हर स्कूल मे पढ़ने वाले छात्र छात्राओ को स्पोर्ट्स के क्षेत्र मे आगे बढ़ने का अवसर दे रही है। ग्रामीण क्षेत्रो से प्रतिभा निकल कर सामने आ रही है ख़ुशी का स्टेट लेवेंल मे सेलेक्शन बेहद ख़ुशी कि बात है।
गौरतलब है कि कानपुर देहात अति पिछड़ा और ग्रामीण जिला है, ज़िलें मे एक भी स्टेडियम नहीं है। बाक़सिंग रिंग तो छोड़ दीजिये वही ग्रामीण परिवेश से बिना ट्रेनिंग के ख़ुशी का स्टेट लेवेंल बाक़सिंग मे सेलेक्शन नज़ीर है, कि प्रतिभा किसी संसाधन कि मोहताज नहीं होती वो एक ना एक दिन अपनी मंज़िप हासिल कर ही लेती है।