Kailash Gahlot Resigns: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली सरकार में परिवहन, गृह और महिला एवं बाल विकास जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gahlot) ने पार्टी और मंत्रिपरिषद दोनों से इस्तीफा दे दिया है। गहलोत के इस्तीफे से न सिर्फ पार्टी को नुकसान हुआ है, बल्कि सरकार में बड़े बदलाव की स्थिति भी पैदा हुई है। मुख्यमंत्री आतिशी ने गहलोत के सभी विभागों की जिम्मेदारी अपने पास रखने का फैसला किया है और इसको लेकर उपराज्यपाल (एलजी) को प्रस्ताव भेजा है।
आतिशी संभालेंगी सभी विभाग
गहलोत के पास परिवहन, प्रशासनिक सुधार, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, गृह, और महिला एवं बाल विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग थे। मुख्यमंत्री आतिशी (Atishi) ने साफ कर दिया है कि ये सभी विभाग अब उनके अधीन रहेंगे। पार्टी के लिए यह झटका ऐसे समय में आया है जब दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।
गहलोत का राजनीतिक सफर
कैलाश गहलोत ने 2015 में पहली बार नजफगढ़ विधानसभा सीट से जीत हासिल कर राजनीति में कदम रखा। 2017 में उन्हें दिल्ली सरकार में मंत्री पद की बड़ी जिम्मेदारी मिली। गहलोत का जन्म 22 जुलाई 1974 को नजफगढ़ में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज से पढ़ाई की और इसके बाद वकालत का करियर चुना। वह सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत कर चुके हैं। हालांकि, गहलोत का नाम विवादों से भी जुड़ा रहा है। 2018 में आयकर विभाग ने कथित कर चोरी के आरोपों में उनके परिसरों पर छापेमारी की थी।
गहलोत ने लगाए ‘आप’ पर गंभीर आरोप
गहलोत ने मुख्यमंत्री आतिशी को लिखे अपने पत्र में मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। इसके साथ ही, उन्होंने पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को भी पत्र लिखकर आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। गहलोत ने अपने पत्र में पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी अब दिल्ली की जनता के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय अपने निजी एजेंडे पर काम कर रही है। उन्होंने पार्टी को ‘शीशमहल विवाद’ जैसे शर्मनाक मुद्दों में उलझा हुआ बताया। यह आरोप अरविंद केजरीवाल के विवादित सरकारी आवास को लेकर था, जिसे ‘शीशमहल’ कहा गया।
गहलोत ने आरोप लगाया कि पार्टी की प्राथमिकता अब जनता की सेवा नहीं रह गई है, बल्कि अपने ही एजेंडे को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा, “दिल्ली में बुनियादी सेवाओं की आपूर्ति चरमरा गई है, और पार्टी इन समस्याओं को हल करने के बजाय अपनी छवि चमकाने में व्यस्त है।” गहलोत के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री आतिशी ने सभी विभाग अपने पास रखकर पार्टी और सरकार में स्थिरता बनाए रखने का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार विकास के एजेंडे पर काम करना जारी रखेगी और जनता की सेवा में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
चुनाव से पहले AAP के सामने आयी चुनौतियां
गहलोत के इस्तीफे ने न सिर्फ पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। दिल्ली की जनता और विपक्ष इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। गहलोत का पार्टी छोड़ना न केवल आम आदमी पार्टी के लिए राजनीतिक नुकसान है, बल्कि यह चुनावी समीकरण भी बदल सकता है। चुनावी मौसम में इस्तीफे और आरोप पार्टी की छवि को धक्का पहुंचा सकते हैं। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री आतिशी इस झटके से पार्टी को कैसे उबारती हैं और चुनावी रणनीति में क्या बदलाव करती हैं।