Karnataka High Court News : आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए बताया कि,जाओ और लटक जाओ सिर्फ इतना कहना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं हो सकता.इस मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत दे दी है और उसके खिलाफ जारी कार्यवाही को खत्म कर दिया है.इस पर याचिकाकर्ता ने कहा उसने सिर्फ अपने दुख को जाहिर किया था।दरअसल,ये पूरा मामला कर्नाटक के चर्च के पादरी से जुड़ा हुआ है जहां पादरी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज आरोप पत्र को रद्द कर दिया है।
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कोर्ट ने माना,सुसाइड के कई कारण हो सकते हैं
कोर्ट ने कहा कि,पादरी की आत्महत्या के कई कारण हो सकते हैं उनमें से एक चर्च के पादरी के तौर पर किसी महिला के अफेयर के साथ अफेयर हो सकता है.मानव मन में बहुत रहस्यमय है,उसके मन के रहस्य को उजागर करना संभव नहीं है.पीठ ने ये भी कहा कि,आगे की कार्यवाही की अनुमति देना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.इसके बाद कोर्ट ने इस मामले को रद्द करने का फैसला सुनाया।
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11 अक्टूबर 2019 को की थी आत्महत्या
कर्नाटक में उडुपी जिले के शिरवा चर्च के सहायक पादरी और शिरवा डॉन बॉस्को इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रधानाध्यापक फादर महेश डिसूजा ने 11 अक्टूबर 2019 को कमरे में छत के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी.इस संबंध में दर्ज मामले की जांच के दौरान पता चला कि,आत्महत्या करने से कुछ देर पहले मृतक के मोबाइल नंबर पर डेविड डिसूजा ने 3 बार कॉल की थी.इस दौरान याचिकाकर्ता और मृतक के बीच कोंकणी भाषा में बातचीत हुई और डेविड ने पुजारी को डांटा.उन्होंने कहा,तुम मेरी पत्नी को क्या मैसेज कर रहे हो,मैं चर्च में आऊंगा और तुम्हारी पिटाई करुंगा और अपनी पत्नी को भी मार डालूंगा…मैं तुम्हारे इस रिश्ते का खुलासा कर दूंगा..आत्महत्या कर लो,वो भी आत्महत्या कर लेगी।
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आत्महत्या करने की कई वजह हो सकती है-कोर्ट
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि,उसने केवल ये कहते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त की,जाओ और फांसी लगा लो.आगे ये भी कहा गया कि,मृतक को ये पता चलने पर कि उसके अवैध संबंध के बारे में किसी और को भी पता चल गया है.आत्महत्या करके अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।कोर्ट ने माना कि,नाराजगी में कही गई बात के लिए किसी को आईपीसी की धारा 306 यानी सुसाइड के लिए उकसाना मान लिया जाए….आत्महत्या करने की कई वजह हो सकती है जिसमें एक वजह ये भी हो सकती है कि,पादरी होने के बावजूद याचिकाकर्ता की पत्नी के साथ उसके अवैध संबंध थे।