भविष्य में रोबोट्स इंसान के एहसासों को केवल त्वचा को छूकर समझने में सक्षम हो सकते हैं। ये सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा है न, लेकिन यह सच है दरसअल, वर्तमान में Robots और अन्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित प्रणालियाँ आमतौर पर चेहरे के भाव, आवाज़ और शारीरिक भाषा के माध्यम से इंसानों के भावनात्मक संकेतों को समझने की कोशिश करती हैं। हालांकि, इन तरीकों में कई सीमाएँ हैं।
जैसे, चेहरा हमेशा स्पष्ट नहीं होता या कभी-कभी आवाज़ का विश्लेषण भी गलत हो सकता है, खासकर जब व्यक्ति थका हुआ हो या तनाव में हो। वहीं, स्किन कंडक्टेंस एक और अधिक सटीक और विश्वसनीय तरीका हो सकता है, क्योंकि यह सीधे हमारे शरीर के अंदरूनी संकेतों से जुड़ा होता है। जब हम तनाव, डर, खुशी, या अन्य भावनाओं का अनुभव करते हैं, तो हमारी त्वचा का रेजिस्टेंस बदलता है, और यह विद्युत प्रवाह को प्रभावित करता है। इसका मतलब है कि स्किन कंडक्टेंस के माध्यम से रोबोट्स और अन्य मशीनें हमारी भावनाओं को बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के समझ सकती हैं।
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रोबोट्स लगाते है मानसिक स्थिति का अनुमान
यह अध्ययन से पता चला है कि… मानव शरीर में जब हम तनाव, घबराहट, खुशहाली, या अन्य भावनाओं का अनुभव करते हैं, तो हमारी त्वचा में बदलाव आते हैं, जो विद्युत धारा के प्रवाह को प्रभावित करते हैं। जब हम घबराए होते हैं या तनाव महसूस करते हैं, तो हमारी त्वचा अधिक पसीने का स्राव करती है, जिससे स्किन कंडक्टेंस में बदलाव आता है। इससे रोबोट्स को बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के हमारे मानसिक स्थिति का अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है।
स्किन कंडक्टेंस का महत्व
स्किन कंडक्टेंस को समझना एक non-invasive (गैर-आक्रामक) तरीका हो सकता है, जो इंसान की मानसिक अवस्था को रियल टाइम में ट्रैक कर सकता है। यह तरीका उन स्थितियों में खास उपयोगी हो सकता है, जहाँ पारंपरिक तरीके जैसे चेहरे की पहचान या आवाज़ का विश्लेषण सही परिणाम नहीं दे पाते। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति बोल नहीं पा रहा है या चेहरा ठीक से नहीं दिखाई दे रहा है, तो स्किन कंडक्टेंस इस कमी को पूरा कर सकता है।
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भविष्य में रोबोट्स के लिए क्या मतलब है?
अगर इस तकनीक को रोबोट्स में लागू किया जाता है, तो वे इंसान के मानसिक और भावनात्मक संकेतों को और अधिक समझने में सक्षम होंगे। उदाहरण के लिए, एक रोबोट किसी व्यक्ति को आराम देने के लिए उसके तनाव स्तर का अनुमान लगा सकता है या जरूरत पड़ने पर उसे खुश करने की कोशिश कर सकता है। यह रोबोट्स के लिए एक नया तरीका होगा, जिससे वे इंसानों के साथ बेहतर और ज्यादा संवेदनशील तरीके से इंटरएक्ट कर सकेंगे।यह तकनीकी विकास भावनात्मक बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में एक बड़ा कदम हो सकता है, जो न केवल रोबोट्स के लिए, बल्कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानव-रोबोट इंटरएक्शन के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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भविष्य की दिशा और प्रभाव
रोबोटिक्स और मानव-रोबोट संवाद: यह अध्ययन भविष्य में रोबोट्स के लिए बड़ी संभावनाएं खोलता है। अगर रोबोट्स त्वचा की संवेदनशीलता जैसे शारीरिक संकेतों का विश्लेषण कर सकेंगे, तो वे इंसानों के मानसिक और भावनात्मक अवस्था को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। उदाहरण के लिए, रोबोट किसी व्यक्ति के तनाव स्तर को देखकर उसे आराम दे सकता है या किसी हलके तनाव के संकेत पर उसकी मदद कर सकता है। इससे मानव-रोबोट इंटरएक्शन ज्यादा सहज और संवेदनशील हो सकेगा।
चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग: इस तकनीक का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी किया जा सकता है। अगर हम त्वचा की संवेदनशीलता के पैटर्न को सही ढंग से समझ पाते हैं, तो यह तनाव, चिंता, और अन्य मानसिक स्थितियों को जल्दी पहचानने में मदद कर सकता है। चिकित्सक इस डेटा का उपयोग करके मरीजों की भावनात्मक स्थिति का सटीक मूल्यांकन कर सकते हैं।
मानव-मशीन इंटरफेस में सुधार: इस अध्ययन से यह भी संकेत मिलता है कि भविष्य में मशीनें मानव भावनाओं को समझने के लिए ज्यादा उन्नत हो सकती हैं, जिससे इंसानों और मशीनों के बीच संवाद और भी अधिक प्राकृतिक और सटीक हो सकता है। उदाहरण के लिए, स्मार्ट डिवाइस या सहायक तकनीकें आपके मूड को पहचानकर आपकी पसंद के अनुसार अपनी प्रतिक्रियाएं और सुझाव दे सकती हैं।