Jammu and Kashmir Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के पहले चरण में मतदाताओं ने अद्वितीय उत्साह का प्रदर्शन किया है। आतंकवाद और अलगाववाद के केंद्र रहे दक्षिण कश्मीर की सीटों पर भी लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद पहली बार हो रहे इन चुनावों में, मतदाताओं की संख्या ने पिछले सभी चुनावों के रिकॉर्ड को तोड़ने का संकेत दिया है।
मतदान के लिए लगी लंबी कतारें
दक्षिण कश्मीर और जम्मू संभाग के रामबन, डोडा और किश्तवाड़ में मतदान केंद्रों पर सुबह से ही लंबी कतारें देखने को मिलीं। मतदान का आंकड़ा देर शाम तक 61.13 प्रतिशत तक पहुंच गया। शोपियां में 53.54 प्रतिशत और पुलवामा में 46.03 प्रतिशत मतदान के साथ, 2008 के बाद हुए चुनावों में यह सबसे अधिक मतदान प्रतिशत है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी पांडुरंग के पोले ने कहा कि राज्य की सुरक्षा स्थिति में सुधार के कारण मतदान में वृद्धि हुई है।
दूसरे चरण का मतदान 25 सितंबर और अंतिम चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होगा। 10 साल बाद हो रहे इन विधानसभा चुनावों में माहौल पूरी तरह से बदल चुका है। पहले चरण में जिन 24 विधानसभा क्षेत्रों में वोटिंग हुई, उनमें त्राल भी शामिल है, जिसे कभी आतंक का गढ़ माना जाता था।
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कश्मीरी हिंदुओं का उत्साह बना आकर्षण का केंद्र
विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं में मतदान के प्रति विशेष उत्साह देखने को मिला। घाटी की 16 सीटों के लिए 30 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके लिए जम्मू, ऊधमपुर और दिल्ली में 24 विशेष मतदान केंद्र बनाए गए थे। जम्मू में 19 विशेष मतदान केंद्रों पर करीब 9500 वोट पड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मतदाताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए ट्वीट किया। पीएम ने विशेष रूप से युवाओं और पहली बार मतदान करने वालों से अपील की कि वे लोकतंत्र के इस महोत्सव में सक्रिय भाग लें।
पहले चरण में उम्मीदवारों की संख्या
पहले चरण में 219 उम्मीदवारों का भविष्य ईवीएम में बंद हो गया। इनमें पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। मतदान के आंकड़ों के अनुसार, अनंतनाग सीट पर 41.58 प्रतिशत, बनिहाल में 68.00 प्रतिशत, और किश्तवाड़ में 75.04 प्रतिशत मतदान हुआ।
शांतिपूर्ण रहा मतदान का वातावरण
इस चुनाव में लगभग 23.27 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिनमें 5.66 लाख युवा शामिल थे। मतदान सुबह 7 बजे से शुरू हुआ और मतदान केंद्रों के बाहर मतदाताओं की लंबी कतारें देखने को मिलीं। चुनाव आयोग और प्रशासन ने शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए, और अब तक किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है।
दूसरे और तीसरे चरण के मतदान क्रमशः 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। चुनाव परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे, और पूरी चुनाव प्रक्रिया 10 अक्टूबर तक संपन्न होगी। ये चुनाव न केवल राजनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जम्मू-कश्मीर की सामाजिक और आर्थिक प्रगति की दिशा में एक नया अध्याय भी जोड़ सकते हैं। इस प्रकार, जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों ने पिछले कई वर्षों के तनाव और हिंसा के बाद, एक नई आशा की किरण जगाई है, जिससे स्पष्ट है कि लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने के लिए तैयार हैं।
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