Jaunpur News: जौनपुर जनपद में साढ़े चार करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) गणेश प्रसाद की सीधी संलिप्तता पाई गई है। शासन ने इस मामले की पुष्टि करते हुए सीआरओ को निलंबित कर दिया है। यह घोटाला भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में फर्जीवाड़े के तहत किया गया, जिसमें 14 ग्राम पंचायतों के 46 काश्तकारों को फर्जी तरीके से मुआवजा दिया गया था। इस मामले में पहले से ही पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है।
डीएम की जांच से हुआ खुलासा
घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब भूमि अधिग्रहण और मुआवजा भुगतान में धांधली का मुद्दा अगस्त माह की शुरुआत में कंप्यूटर ऑपरेटर रोबिन साहू ने जिलाधिकारी (डीएम) जौनपुर के समक्ष उठाया। साहू ने प्रमुखता से बताया कि 3.38 लाख रुपये के स्थान पर 34 लाख रुपये का फर्जी भुगतान राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआई) के तहत किया गया था।
इस मामले का संज्ञान लेते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार मांदड़ ने 22 अगस्त को सीआरओ और अन्य अधिकारियों की टीम के साथ भूमि अध्याप्ति कार्यालय का निरीक्षण किया। उसी दिन, कार्यालय से चार फर्जी अभिलेख मिले, जिनसे पता चला कि ढाई करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान किया गया था। इसके बाद, सीडीओ साईं तेजा सीलम की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई गई, जिसमें ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ईशिता किशोर और एसडीएम ज्ञानप्रकाश यादव को सदस्य नियुक्त किया गया।
साढ़े चार करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान
जांच के दौरान यह पाया गया कि सदर, मड़ियाहूं, मछलीशहर, और बदलापुर में चल रहे भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में फर्जी तरीके से 14 ग्राम पंचायतों के 46 काश्तकारों को साढ़े चार करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान किया गया था। इसमें मड़ियाहूं तहसील के 12 काश्तकारों को 1.87 करोड़, बदलापुर तहसील के 28 काश्तकारों को 2.2 करोड़, मछलीशहर के तीन काश्तकारों को 56 लाख और सदर तहसील के तीन काश्तकारों को 84 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों पर मुकदमा दर्ज
डीएम के आदेश पर इस मामले में थाना लाइनबाजार में पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, उनमें शिक्षा विभाग के अनुदेशक राहुल सिंह (बदलापुर), मिरशादपुर निवासी प्रीतम उर्फ मुलायम, कार्यालय प्रभारी संतोष तिवारी, अमीन अनिल कुमार यादव और ऑपरेटर हिमांशु श्रीवास्तव शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इन सभी ने हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ले रखा है और खुलेआम घूम रहे हैं।
कैसे किया गया फर्जी भुगतान?
घोटाले के मुख्य आरोपियों राहुल सिंह और प्रीतम ने काश्तकारों से मिलकर फर्जी तरीके से फाइलें तैयार कराईं और नए बैंक खाते खुलवाए। इसके बाद काश्तकारों से ब्लैंक चेक ले लिए जाते थे। मुआवजे की राशि ट्रांसफर होते ही ये लोग काश्तकारों से बैंक के बाहर ही 30 से 50 प्रतिशत तक की रकम वसूल लेते थे।
प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल
इस घोटाले में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, क्योंकि आरोपी अभी तक खुलेआम घूम रहे हैं और उनकी सेवाएं भी जारी हैं। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में और क्या कदम उठाता है और कब तक दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।