Jammu and Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर की सियासत में इस समय एक नाम खूब सुर्खियां बटोर रहा है—राशिद इंजीनियर। जेल में बंद राशिद इंजीनियर की दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है। इस मामले की सुनवाई कैमरे की निगरानी में बंद कमरे में हुई। अब कोर्ट 4 सितंबर को आदेश सुनाएगी। अगर उन्हें जमानत मिल जाती है, तो जम्मू-कश्मीर की विधानसभा चुनावी लड़ाई में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
राशिद इंजीनियर की अगुवाई वाली आवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) ने घोषणा की है कि वे जम्मू-कश्मीर की सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। इस घोषणा के बाद से राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राशिद की पार्टी के महासचिव प्रिंस परवेज का कहना है कि राज्य के लोगों के पास एआईपी के अलावा कोई विकल्प नहीं है, और उनकी पार्टी इस बार पूरे जोर-शोर से चुनावी मैदान में उतरेगी।
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कौन है राशिद इंजीनियर?
राशिद इंजीनियर, जिनका असली नाम शेख राशिद है, 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें 2019 में एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने आतंकी फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया था। राशिद आवामी इत्तेदाह नाम की पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। राशिद इंजीनियर 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला से निर्दलीय सांसद चुने गए थे, जहां उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हराकर सबको चौंका दिया था। उत्तर कश्मीर की राजनीति में उनका बड़ा नाम है और वे पूर्व विधायक भी रह चुके हैं।
राशिद इंजीनियर का सियासी सफर
राशिद इंजीनियर का जन्म हंदवाड़ा के लाछ मावर में हुआ था। उन्होंने श्रीनगर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और करीब 25 साल तक सरकारी विभाग में इंजीनियर के रूप में काम किया। 2003 के आसपास उन्होंने उर्दू वीकली न्यूजपेपर ‘चट्टान’ में राजनीतिक मुद्दों पर लिखना शुरू किया, जिससे वे धीरे-धीरे चर्चित होते गए। 2008 में उन्होंने कुपवाड़ा के लंगेट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2013 में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी, आवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) की स्थापना की। 2014 के विधानसभा चुनाव में वे फिर से विधायक चुने गए, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और 2024 के चुनाव में बारामूला से जीत दर्ज की।
जेल से बाहर आते सकते हैं समीकरण
राशिद इंजीनियर पिछले 5 सालों से यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत जेल में बंद हैं। उन्हें आतंकी फंडिंग के आरोप में एनआईए ने गिरफ्तार किया था। उनका नाम कश्मीरी व्यवसायी जहूर वटाली की जांच के दौरान सामने आया था, जिसे घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को वित्त पोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अब, अगर राशिद इंजीनियर को आज जमानत मिल जाती है, तो जम्मू-कश्मीर के चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव आ सकता है। उनके जेल से बाहर आने से चुनाव में बड़ा उलटफेर हो सकता है, खासकर तब जब उनकी पार्टी सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। खैर अभी तो वह जेल से बाहर आने का इंतजार कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में चुनावी सरगर्मी तेज
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, और सभी राजनीतिक दल अपने-अपने दांव-पेंच लगाने में जुट गए हैं। ऐसे में राशिद इंजीनियर का चुनाव में उतरना राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। उनकी पार्टी की चुनावी रणनीति और प्रचार की दिशा जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकती है। राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका पर होने वाली आज की सुनवाई केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर की राजनीति के भविष्य को भी प्रभावित कर सकती है। अगर राशिद जेल से बाहर आते हैं, तो उनकी पार्टी एआईपी के साथ मिलकर राज्य में एक नई सियासी हवा चला सकते हैं, जो अन्य राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।