J-K assembly elections: जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव (ammu and Kashmir Elections) को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। सभी प्रमुख दलों ने अपनी रणनीतियां तैयार कर ली हैं और प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। इसी बीच, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव समाज पार्टी (DPAP) के नेता गुलाम नबी आजाद ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाने का फैसला किया है। आजाद ने इसके पीछे खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया है, जिससे उनकी पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
स्वास्थ्य कारणों से चुनाव प्रचार में नहीं होंगे शामिल
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इसलिए वे अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे। इस फैसले के साथ ही आजाद ने पार्टी के उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने की छूट भी दे दी है। उनका यह कदम पार्टी के लिए कठिन समय का संकेत माना जा रहा है, खासकर जब पिछले लोकसभा चुनाव में DPAP को खराब प्रदर्शन के चलते निराशा हाथ लगी थी।
कांग्रेस से अलग होने के बाद DPAP का गठन
गुलाम नबी आजाद, जिन्होंने लंबे समय तक कांग्रेस में अपनी सेवाएं दीं, ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद DPAP का गठन किया था। हालांकि, पार्टी के गठन के बाद से ही यह कई मुश्किलों का सामना कर रही है। पार्टी में लगातार दलबदल और अस्थिरता की स्थिति बनी हुई है। अब, चुनाव प्रचार से आजाद की दूरी बनाना भी पार्टी के लिए एक और बड़ा झटका साबित हो रहा है।
पार्टी प्रत्याशियों को मिली नामांकन वापस लेने की छूट
एक प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, गुलाम नबी आजाद ने स्पष्ट किया है कि वे विधानसभा चुनाव के दौरान अपने प्रत्याशियों का प्रचार नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि कुछ अप्रत्याशित परिस्थितियों ने उन्हें इस निर्णय के लिए मजबूर किया है। श्रीनगर में दिए गए एक बयान में भी आजाद ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाने की पुष्टि की है।
इसके साथ ही, उन्होंने पार्टी के प्रत्याशियों को नामांकन वापस लेने की भी अनुमति दी है। आजाद ने कहा कि उम्मीदवारों को अपनी स्थिति का खुद आकलन करना चाहिए और यदि वे महसूस करते हैं कि उनके बिना वे चुनाव में सफल नहीं हो पाएंगे, तो वे नामांकन वापस ले सकते हैं।
DPAP की चुनावी स्थिति पर संकट के बादल
DPAP के 13 प्रत्याशियों ने मंगलवार को विधानसभा चुनाव के लिए अपने नामांकन दाखिल किए थे। लेकिन आजाद के इस निर्णय के बाद यह सवाल उठने लगा है कि पार्टी दूसरे और तीसरे चरण के मतदान के लिए प्रत्याशी घोषित करेगी या नहीं। आजाद की पार्टी के प्रवक्ता सलमान निजामी ने कहा कि आजाद साहब ने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव प्रचार से दूरी बनाने का फैसला किया है और अगर किसी उम्मीदवार को लगता है कि उनके बिना वे चुनाव में मजबूती से खड़े नहीं रह सकते, तो वे स्वतंत्र रूप से अपना नामांकन वापस ले सकते हैं।
लोकसभा चुनाव में मिली थी करारी हार
पिछले लोकसभा चुनाव में DPAP को करारी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी ने दो लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन दोनों की जमानत जब्त हो गई थी। इसके साथ ही, पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी इस्तीफा दे दिया था। हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता ताज मोहिउद्दीन और हारुन खताना ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया। अब, आजाद के चुनाव प्रचार से पीछे हटने के बाद DPAP की चुनावी स्थिति और भी कमजोर होती दिख रही है।
गुलाम नबी आजाद का चुनाव प्रचार से दूरी बनाना DPAP के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। पार्टी, जो पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही थी, अब और भी मुश्किल दौर में प्रवेश करती दिख रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में DPAP की स्थिति को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, और देखना होगा कि पार्टी इस संकट से कैसे उबरती है।