जयपुर को आज पूरे 297 साल हो गए हैं आज के दिन ही सवाई जयसिंह द्वितीय ने 297 साल पहले जयपुर को बसाया था। सवाई जयसिंह द्वितीय ने इसकी स्थापना साल 1727 में की थी। कहते है कि, जयपुर महज एक शहर नहीं बल्कि भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है। इसमें वास्तु, कला और अध्यात्म सभी को समाहित किया गया है। पृथ्वी और ब्रह्मांड को जाहिर करने वाली संकल्पना को जयपुर में ही सार्थक किया था।
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विज्ञान और ज्योतिष के प्रति लगाव को भी दर्शाता जयपुर
कहा जाता है कि,जिस समय जयपुर की स्थापना हुई थी उस समय आमेर की राजधानी जल संकट और कम जगह की वजह से फैलाई नहीं जा सकती थी। इसी समस्या को सुलझाने के लिए सवाई जय सिंह ने एक नए और आधुनिक शहर की नींव रखी थी।जयपुर का निर्माण न केवल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है बल्कि यह विज्ञान और ज्योतिष के प्रति सवाई जयसिंह के लगाव को भी दिखाता है।
कहां रखी गई पहली नींव?
जयपुर की पहली नींव जयपुर के वॉल सिटी (Wall City) इलाके (Localities) में गंगापोल क्षेत्र में रखी गई थी इसलिए इसे गंगापोल दरवाजा कहा जाता है तो आज से 297 साल पहले इसकी नींव रखी गई थी मगर बहुत कम ही लोग इस दरवाजे के बारे में जानते हैं।
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विरासत जितनी पुरानी उतनी ही चिंता वर्तमान और भविष्य की
कहते हैं कि शहर की विरासत जितनी पुरानी होती है उतनी ही उसके वर्तमान व भविष्य की चिंता होती है जब 3 साल बाद जयपुर 300 साल का होगा तब तक इसकी पहचान में कई और सितारे लग जाएंगे।जयपुर की पहचान इसके भविष्य की कल्पनाओं के साथ-साथ शहर की खूबसूरती बनी रही इसके लिए आज से ही शहर के सौन्दर्य पर पूरा ध्यान रखना होगा।जयपुर शहर भले ही कितना विशाल हो जाए, कितनी भी उन्नति कर ले लेकिन परकोटे में बसी विरासत, संस्कृति जिंदा रहे।
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इसके लिए आज से ही एक नई शुरूआत भी की जा सकती है परकोटा ही जयपुर की जान है, शान है और एक पहचान है। इसे “जीवित” रखने का संकल्प हमें लेना होगा।अतिक्रमण परकोटे की पहचान बिगाड़ रहे हैं बेतरतीब ट्रैफिक जयपुर की शान खराब कर रहा है। बिखरी हुई गंदगी हमारी विश्व विरासत की पहचान को धूमिल कर रहा है हमारी पहचान को ये बिगाड़ने पर तुले हैं इनका समाधान हो जाए तो तीन नहीं बल्कि कई शताब्दियों के बाद भी “जयपुर की पहचान” जिंदा रहेगी।