ISRO: भारत अंतरिक्ष विज्ञान में एक नई क्रांति की ओर बढ़ रहा है। चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब दो स्पेस स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इनमें से एक पृथ्वी की कक्षा में और दूसरा चंद्रमा की परिक्रमा करेगा। यह मिशन भारत को न केवल वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में एक अग्रणी देश बनाएगा, बल्कि मून स्पेस स्टेशन बनाने वाला पहला देश भी बना देगा।
पृथ्वी के स्पेस स्टेशन के बाद चांद पर स्थायी आधार
ISRO के पहले स्पेस स्टेशन को इंडियन स्पेस स्टेशन (ISS) नाम दिया गया है, जिसे 2030 तक लॉन्च किए जाने की योजना है। यह स्टेशन पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में स्थापित होगा। वहीं, चांद पर बनने वाला मून स्पेस स्टेशन 2040 तक तैयार हो सकता है। मून स्पेस स्टेशन न केवल चंद्रमा पर रिसर्च का केंद्र बनेगा, बल्कि भविष्य के मंगल मिशनों के लिए भी एक आधार साबित होगा।
गगनयान से होगा स्पेस स्टेशन का पहला चरण शुरू
भारत इस महत्वाकांक्षी मिशन को चरणबद्ध तरीके से पूरा करेगा। पहला चरण गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) है, जिसके तहत चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री LEO में भेजे जाएंगे। यह मिशन 2025 तक पूरा होने की संभावना है। गगनयान का लक्ष्य उस बिंदु तक जाना है, जहां भारत अपना पहला स्पेस स्टेशन स्थापित करेगा।
चंद्रयान-4 के बाद मून स्पेस स्टेशन की तैयारी
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO चंद्रयान-4 मिशन (Chandrayaan-4) की तैयारी में जुटा है, जिसे 2028 तक लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में रोवर और लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव से नमूने लेकर धरती पर वापस लौटेंगे। इसके बाद भारत का पहला मानवयुक्त चंद्र मिशन लॉन्च होगा, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर उतरेंगे। इसी के साथ 2040 तक मून स्पेस स्टेशन भी लॉन्च किया जाएगा।
चंद्रमा पर तीन चरणों में मिशन
ISRO ने अपने मून मिशन को तीन चरणों में विभाजित किया है:
- रोबोटिक मिशन: चंद्रयान-4 के तहत नमूने एकत्र करना।
- मानव मिशन: भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारना।
- मून स्पेस स्टेशन: चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला स्थायी स्टेशन, जहां वैज्ञानिक 24 घंटे रिसर्च कर सकें।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का विकल्प होगा इंडियन स्पेस स्टेशन
2030 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) को निष्क्रिय कर दिया जाएगा। ऐसे में भारत का स्पेस स्टेशन वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में बड़ी भूमिका निभा सकता है। चीन के तियांगोंग के बाद भारत ऐसा देश होगा, जो खुद का स्पेस स्टेशन बनाएगा। मून स्पेस स्टेशन चंद्रमा पर जीवन की संभावनाओं को तलाशने और भविष्य के मंगल मिशनों का आधार बनने में सहायक होगा। अंतरिक्ष एजेंसियां चंद्रमा को एक ट्रांजिट बेस के रूप में देख रही हैं। अगर भारत मून स्पेस स्टेशन बना लेता है, तो यह वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय के लिए भी मददगार साबित होगा।
पीएम मोदी का सपना: अंतरिक्ष में भी हो भारत की धाक
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ISRO को नए और साहसिक लक्ष्य निर्धारित करने का निर्देश दिया था। इसमें मानवयुक्त चंद्र मिशन और चांद पर भारतीय वैज्ञानिकों को भेजने जैसे लक्ष्य शामिल हैं। इसके अलावा, स्पेस डॉकिंग तकनीक में भी भारत निवेश कर रहा है, जो स्पेस स्टेशन के संचालन में मददगार साबित होगी।
NASA दे रहा भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेनिंग
गगनयान मिशन के लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया गया है, जिन्हें NASA प्रशिक्षण दे रहा है। इनमें एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप, और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं। हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच इस प्रशिक्षण को लेकर करार हुआ है।
भारत बनेगा अंतरिक्ष में सबसे आगे
ISRO की ये योजनाएं दिखाती हैं कि भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में तेजी से प्रगति कर रहा है। चाहे वह चंद्रमा की सतह पर रिसर्च हो, स्पेस स्टेशन का निर्माण हो या भविष्य के मंगल मिशन, भारत की इन योजनाओं से देश की अंतरिक्ष विज्ञान में मजबूत स्थिति बनेगी। 2030 और 2040 का दशक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है।