ISRO Pushpak Landing :भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की है.इसरो ने फिर से इतिहास रच दिया है और दुनिया को दिखाया है कि,भारत की वैज्ञानिक क्षमता अब पहले से अधिक मजबूत हो चुकी है.इसरो ने घोषणा करके बताया है कि,उनसे बहुत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में RLV पुष्पक विमान की सफल लैंडिंग कर दी है.इसरो ने इसकी जानकारी ट्वीट करके दी है.इसरो ने ट्वीट करते हुए लिखा,RLV LEX में इसरो ने हैट्रिक लगाई है.“पुष्पक” ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में एडवांस्ड ऑटोनॉमस क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए सटीक होरिजोंटल लैंडिंग की।
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ISRO ने हासिल की एक बड़ी उपलब्धि
इसरो ने इस चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को सफल बनाने को लेकर बताया कि,विंग वाले पुष्पक विमान को भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से साढ़े 4 किमी की ऊंचाई पर छोड़ा गया था.ये रिलीज प्वाइंट रनवे से साढ़े चार किमी दूर था.पुष्पक ने स्वचालित रूप से क्रॉस-रेंज सुधार मैनेन्युवर्स किया और रनवे के पास पहुंचा.रनवे की सेंटर लाइन पर सटीक होरिजोंटल लैंडिंग की।
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इसरो ने ट्वीट कर दी सफलता की जानकारी
आपको बता दें कि,इसरो की तरफ से आरएलवी पुष्पक विमान का परीक्षण सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर बेंगलुरु से लगभग 220 किमी दूर चित्रदुर्ग जिले के चल्लाकेरे में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में किया गया था.विमान को भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से साढ़े चार किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया और रनवे पर लैंडिंग के लिए छोड़ा गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने ऑपरेशन के सफल होने को लेकर बताया कि,इस मिशन ने अंतरिक्ष से लौटने वाले वाहन के लिए दृष्टिकोण और लैंडिंग इंटरफेस और हाई स्पीड वाली लैंडिंग स्थितियों को फॉलो किया है,जिससे रीयूजेबल प्रक्षेपण यान के विकास के लिए आवश्यक सबसे महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी को हासिल करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की विशेषज्ञता की पुष्टि हुई है.इसरो की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि,RLV LEX-03 ने काफी चुनौतीपूर्ण रिलीज स्थितियों और तेज गंभीर हवा की स्थिति के तहत आरएलवी की स्वायत्त लैंडिंग क्षमता का फिर से प्रदर्शन किया है।
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आरएलवी LEX-3 का सफल परीक्षण
आरएलवी LEX-1 और LEX-2 मिशन की सफलता के बाद इसरो के लिए आरएलवी LEX-3 मिशन काफी ज्यादा महत्वपूर्ण था.इस मिशन का सबसे बड़ा मकसद ये था कि,भारत अपना स्पेश स्टेशन बनाने की तैयारी कर रहा है और भारत का मकसद ऐसे रॉकेट का निर्माण करना है
जिसे अंतरिक्ष में भेजा जा सके.इसरो ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.अतंरिक्ष में जब भारत के अंतरिक्ष यात्री मौजूद होंगे तो उनकी जरुरतों को पूरा करने के लिए एक खास रॉकेट की जरुरत होगी जिसका इस्तेमाल बार-बार किया सके जिससे अंतरिक्ष मिशनों को सफल बनाने में खर्च भी काफी कम आए।