चंदौली संवाददाता : चन्द्रभानु
चंदौली : बाणसागर परियोजना किसानों के लिए जरूरी यह बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है जो मध्यप्रदेश में सोन नदी पर शहडोल जिला में है। 14 मई 1978 को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इसका शिलान्यास किया था। इसे 3 राज्यों के लाभार्थ बनाया गया। इसमें मध्य प्रदेश 50% उत्तर प्रदेश 25% और बिहार 25 प्रतिशत शेयर है इससे बिजली भी पैदा की जाती है सन 2006 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के नेतृत्व में एक समारोह के दौरान यह परियोजना देश को समर्पित की गई।
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माननीय राजनाथ सिंह ने जब गृह मंत्री थे बाणसागर परियोजना को चकिया के सभी बांधों को बाणसागर से अटैच करने के लिए कहा था। हम सभी किसानों को पूरा पूरा भरोसा था की केंद्र और प्रदेश की सरकार इन्हीं की है अब इस योजना का लाभ मिले बिना बाकी नहीं रहेगा। किंतु ऐसा हुआ नहीं। चकिया तहसील कि सिंचाई अभी भी दुष्कर है।
जल की कमी से मिलेगा निजात
गंगा नदी का जलस्तर काफी ऊंचा बरसात के दिनों में हुआ करता है कहीं ना कहीं ज्यादा बरसात हो जाती है इसके चलते गंगा में प्रतिवर्ष बाढ आया करती है। बाणसागर के अलावा गंगा भी चकिया के लिए एक विकल्प दे सकती है अगर चुनार से लिफ्ट के जरिए अहरौरा बांध में उसका पानी लाकर चंद्रप्रभा मुजफ्फरपुर बीयर होते हुए कर्मनाशा सिस्टम से जोड़ा जा सकता है। विकल्प है लेकिन नुमाइंदों का संकल्प नहीं है।
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किसानों ने उठाई ये मांग
बाणसागर से भी जोड़ा जा सकता है मुश्किल नहीं है गंगा के पानी से भी जोड़ा जा सकता है मुश्किल नहीं है। मुश्किल क्या है मुश्किल यह है की सरकारों का ध्यान हाईवे एक्सप्रेस वे पर है। पानी की किल्लत में किसान को बार-बार टीसता रहता है। अगर बाणसागर परियोजना यह गंगा के पानी से बांधों को जोड़ा जाता तो इतने बुरे दिन देखने को नहीं रहते। हर किसान को यह बात सरकारी नुमाइंदों से कहना चाहिए। पानी नहीं तो कुछ नहीं।