संवाददाता:अनुराग त्रिपाठी
Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चक्रव्यूह यानी 7वें चरण के लिए मतदान 1 जून को होगा.सातवें चरण में उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे.इन 13 सीटों में वाराणसी,मिर्जापुर,घोसी,बलिया,गाजीपुर,महाराजगंज,गोरखपुर,कुशीनगर,देवरिया,बांसगांव,सलेमपुर, चंदौली और राबर्ट्सगंज में वोटिंग होगी.इस चरण में बड़े चेहरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अनुप्रिया पटेल, महेंद्र नाथ पांडेय, पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर,कांग्रेस लीडर अखिलेश प्रताप सिंह और भाजपा सांसद रवि किशन की प्रतिष्ठा दांव पर हैं.इन सभी के अपने दावे और वायदे हैं.इन सभी चेहरों की साख दांव पर लगी है तो आपको बताते हैं पूर्वांचल की किस सीट हैं कांटे का मुकाबला?
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वाराणसी
साल 2024 के चुनाव में वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुल 41 लोगों ने पर्चा दाखिल किया था बाद में एक उम्मीदवार ने अपना पर्चा वापस ले लिया. वहीं बाकी के 33 लोगों के पर्चे जांच के दौरान खारिज हो गए.अब पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी में केवल 6 उम्मीदवार चुनाव मैदान में बचे हैं. पीएम मोदी इस सीट से पिछले 10 साल से सांसद हैं. इस बार उनके पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है.साल 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री (अरविंद केजरीवाल) को 3 लाख 72 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. वहीं 2019 के चुनाव में उन्होंने अपनी जीत का अंतर बढ़ाते हुए 4 लाख 59 हजार कर लिया था. इस बार उनके सामने सपा की शालिनी यादव थीं. यादव अब बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं. मोदी के सामने 2019 और 2014 के चुनाव में भी कांग्रेस के अजय राय खड़े थे.वो तीसरे स्थान पर रहे थे.इस बार 2024 के चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ इंडिया एलायंस की तरफ से कांग्रेस ने अजय राय को उम्मीदवार बनाया है. जबकि बीएसपी ने अतहर जमाल लारी को मैदान में उतारा है. इसके अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवार भी यहां से मैदान में हैं।
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गोरखपुर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी आदित्यनाथ इस यहां से 5 बार सांसद रहे हैं.वो गोरखनाथ मठ के प्रमुख भी हैं जिसका पूर्वांचल में खासा प्रभाव है.मठ का ब्राह्मण, ठाकुर, भूमिहार और बनिया जैसी उच्च जातियों सहित कई समुदायों के बीच अच्छा प्रभाव है.सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद और एक्टर नेता (रवि किशन शुक्ला) को एक बार फिर से मैदान में उतारा है। वहीं समाजवादी पार्टी ने (काजल निषाद) को टिकट दिया है। काजल भी भोजपुरी फिल्म एक्टर हैं, जो सपा और कांग्रेस के बीच सीट-बंटवारे के बाद विपक्षी इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं।
सांसद योगी आदित्यनाथ के 2017 में सीएम पद की शपथ लेने के बाद 2018 के गोरखपुर उपचुनाव में निषाद मतदाताओं ने उलटफेर करने में अहम भूमिका निभाई थी….उस दौरान तत्कालीन सपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद ने भाजपा के उपेंद्र शुक्ला को 21,801 वोटों से हराया था।
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भाजपा इस बात से भी चिंतित है कि,काजल निषाद को बड़े पैमाने पर अपने समुदाय का समर्थन मिल रहा है। हालांकि काजल इससे पहले 2012 और 2022 में क्रमशः कांग्रेस और सपा के टिकट पर कैंपियरगंज से विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं.2023 में सपा उम्मीदवार के रूप में गोरखपुर मेयर का चुनाव भी काजल हारी हैं।
मिर्जापुर लोकसभा सीट–
2016 में बनी अपना दल (सोनेलाल) केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा के साथ गठबंधन में है.राज्य में उसके 13 विधायक हैं.मिर्जापुर लोकसभा सीट से एनडीए की तरफ से अपना दल सोनेलाल की नेता अनुप्रिया पटेल चुनाव मैदान में हैं। अनुप्रिया का दावा है कि,कुर्मियों के साथ-साथ गैर-यादव, ओबीसी कुशवाहा, मौर्य, निषाद, पाल और सैनी के समर्थन से अपना दल (एस) मजबूत स्थिति में हैं.अनुप्रिया पटेल ने दावा किया है कि,मिर्जापुर की जनता उन्हें तीसरी बार सांसद बनाएगी.मगर चुनावी समर के बीच अनुप्रिया के बड़बोलेपन ने राजा को उकसा दिया।अनुप्रिया पटेल बोली, “अब राजा रानियों के गर्भ से नहीं बल्कि ईवीएम से पैदा होते हैं। हालाँकि, राजा भैया ने ये कहकर पलटवार किया कि “ईवीएम से राजा नहीं बल्कि जनसेवक पैदा होते हैं।” राजा भैया की पार्टी के नेताओं का कहना है कि,अनुप्रिया पटेल की टिप्पणियों ने क्षत्रिय समुदाय की भावनाओं को आहत किया है और समुदाय उन्हें लोकसभा चुनाव में अच्छा सबक सिखाएगा।
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वहीं दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन से डॉ( रमेश बिंद )चुनाव लड़ रहे हैं.बीएसपी ने इस सीट से ब्राह्मण उम्मीदवार मनीष तिवारी पर दांव खेला है. इस सीट पर अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी पटेल की पार्टी अपना दल (कमेरावादी) ने कद्दावर नेता दौलत सिंह पटेल को मैदान में उतार कर खलबली मचा दी हैं।
बलिया
बागी बलिया में नारद राय की बगावत ने सियासत में गर्मी बढ़ा दी है.बीजेपी ने नारद राय को पोलिंग से पहले लपक कर बड़े उलटफेर के संकेत दे दिए हैं.बलिया लोकसभा सीट पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर की वजह से चर्चा में रहती है.जहां भाजपा ने चंद्र शेखर के बेटे और बलिया से दो बार के सांसद (नीरज शेखर) को मैदान में उतारा है.वहीं समाजवादी पार्टी ने (सनातन पांडे) पर अपना भरोसा जताया है….जो 2019 का चुनाव 15 हजार के मामूली अंतर से हार गए थे.इन दोनों के अलावा बसपा के लल्लन सिंह भी मैदान में हैं.शेखर और सनातन में से अगर कोई जीता तो बलिया के 72 साल के इतिहास में पहली बार होगा कि,जब कोई ब्राह्मण राजनेता इस सीट पर जीत हासिल करेगा…..इससे पहले 14 बार क्षत्रिय नेताओं ने 3 बार कायस्थ और एक बार यादव उम्मीदवार ने बलिया सीट पर जीत हासिल की है।
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गाजीपुर
पहली बार है जब गाजीपुर में चुनाव मुख़्तार अंसारी के बिना हो रहा है मगर उसकी मौजूदगी का अहसास कम नहीं हुआ है.3 बार के सांसद रहे मनोज सिन्हा 2019 में अफजाल अंसारी के हाथों 1.19 लाख वोटों से चुनाव हार गए थे. मनोज सिन्हा फिलहाल जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल हैं. (बीजेपी) ने गाजीपुर में मनोज सिन्हा के करीबी (पारसनाथ राय) को उतार रखा है….जिसके चलते यहां पर भी भूमिहार और ठाकुर के बीच दरार दिख रही है।
जातीय समीकरण के सहारे 2004 में अफजाल अंसारी सपा से और 2019 में बसपा के टिकट पर गाजीपुर से चुनाव जीते थे और एक बार फिर प्रबल दावेदार हैं.गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से पारसनाथ राय खुद को लड़ाई में बनाए रखने के लिए लगभग 2.5 लाख ठाकुर जाति के मतदाताओं के समर्थन की आवश्यकता है.बीजेपी और इंडी गठबंधन के बीच बीएसपी ने डॉ.उमेश सिंह को मैदान में उतरा है।
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देवरिया लोकसभा सीट-
देवरिया सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काट दिया है.उनकी जगह बीजेपी ने (शशांक मणि त्रिपाठी) को उम्मीदवार बनाया है. जबकि कांग्रेस ने (अखिलेश प्रताप सिंह) को मैदान में उतारा है. इस सीट पर बीएसपी ने संदेश यादव पर दांव लगाया है।
बांसगांव लोकसभा सीट-
गोरखपुर की इस सीट से बीजेपी ने मौजूदा सांसद कमलेश पासवान को टिकट दिया है. कमलेश पासवान पिछले 15 साल से सांसद हैं.इस सीट पर कांग्रेस ने सदल प्रसाद को मैदान में उतारा है.जबकि बीएसपी ने राम समुझ को अपना उम्मीदवार बनाया है. पिछले चुनाव में कमलेश पासवान ने सदल प्रसाद को 1.53 लाख वोटों से हराया था।
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सलेमपुर लोकसभा सीट-
देवरिया की सलेमपुर सीट से बीजेपी ने मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा पर दांव खेला है. कुशवाहा पिछले 10 साल से इस सीट से सांसद हैं.उनके मुकाबले इस बार समाजवादी पार्टी ने इस सीट से रमाशंकर राजभर को मैदान में उतारा है. उधर बीएसपी ने भीम राजभर पर दांव खेला है।
चंदौली लोकसभा सीट-
चंदौली लोकसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई दे रहा है. इस सीट पर बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय पर भरोसा जताया है.महेंद्र नाथ पिछले 10 साल से सांसद हैं. समाजवादी पार्टी ने वीरेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है. उधर बीएसपी ने सत्येंद्र मौर्य पर दांव खेला है।
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राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट-
राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट अनुसूचित जाति (ST) के लिए सुरक्षित है. इस सीट पर एनडीए की तरफ से अपना दल (एस) ने रिंकी कोल को मैदान में उतारा है. जबकि समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार को उम्मीदवार बनाया है. बीएसपी ने धनेश्वर गौतम पर दांव लगाया है. पिछले चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार ने 54 हजार वोटों से जीत हासिल की थी।