Saharanpur Loksabha Seat: 24 के रण के लिए बिसात बिछ चुकी है. बस मोहरों के नाम का ऐलान होना है.फिर एक आखिरी जंग होगी. ये तय करने के लिए देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक कुर्सी पर क्या नरेंद्र मोदी तीसरी बार विराजमान होंगे या फिर देश की आवाम एक नई पटकथा लिखेगी. आज प्राइम टीवी की टीम पड़ताल करते हुए पहुंच चुकी है. सूबे की लोकसभा सीट सहारनपुर में वो सहारनपुर जहां, साढ़े 6 लाख के मुस्लिम और 3 लाख के एससी वोटर किस्मत तय करते हैं. सियासत के धुरंधरों का समीकरण बिगाड़ने और बनाने में इन वोटरों का किरदार बेहद अहम है. इसे इस तरीके से भी समझ सकते हैं कि सूबे में अपनी सियासी जमीन खो चुकी बसपा के कैंडीडेट रहे हाजी फजुर्लरहमान इस सीट से मौजूदा सांसद हैं. यानी मुस्लिम फैक्टर यकीनन इस सीट पर सबसे ज्यादा रोल प्ले करता है.
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गठबंधन उम्मीदवरों के नामों के मंथन में जुटा
यूपी में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन पर मुहर लगने के बाद दोनों ही दलों के नेता अब अपने प्रत्याशियों को लेकर मंथन में जुट गए हैं. लोकसभा चुनाव में सीटों के जातीय समीकरण और पिछले प्रदर्शनों को आधार बनाकर सभी दल अपनी-अपनी गुणा-गणित के सहारे एनडीए को चुनौती देने की कोशिश में हैं.
ऐसे में यदि कांग्रेस के हाथ आई 17 सीटों की बात करें तो इनमें 12 सीटें ऐसी हैं. जिनमें 2019 के लोकसभा चुनाव में वो तीसरे नंबर पर थी. कांग्रेस केवल रायबरेली की एकमात्र सीट जीती थी और तीन सीटों अमेठी, कानपुर और फतेहपुर सीकरी में दूसरे पायदान पर रही थी. सपा के साथ इस अलायंस में कांग्रेस के पाले में सहारनपुर लोकसभा सीट भी आई. वो लोकसभा सीट जो मुस्लिम बाहुल्य है और जहां बसपा के हाजी फजलुर रहमान बसपा को जिंदा रखे हुए हैं.
2014 और 2019 में किसको मिली जीत?
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इमरान मसूद ने कांग्रेस का हाथ पकड़कर लोकसभा चुनाव पहुंचने का सपना देखा, लेकिन उनका ये सपना अधूरा रह गया. 2014 में बीजेपी के राघव लखनपाल सांसद बने और इमरान मसूद दूसरे नंबर पर रहे. इसके बाद 2019 में फिर इमरान मसूद ने कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी किस्मत ने साथ नहीं दिया और इमरान मसूद को हार का मुंह देखना पड़ा.
2019 में बसपा से चुनाव लड़े फजलुर्रहमान सांसद बने, बीजेपी के राघव लखनपाल दूसरे नंबर और इमरान मसूद तीसरे नंबर पर रह गए. कांग्रेस के कई नेता भी यही चाहते हैं कि इमरान मसूद पर ही फिर से दांव लगाया जाए. ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि सहारनपुर ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी की कई और सीटों पर भी इमरान मसूद का अपना प्रभाव है और मुस्लिम वोटों पर इमरान मसूद की मजबूत पकड़ मानी जाती है.
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सहारनपुर सीट पर लड़ाई.. मुसलमानों की याद आई!
गुजरे वक्त में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए पहली लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में वेस्ट यूपी के 8 सीटों पर भी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान हुआ लेकिन चार सीटें छोड़ दी गईं. इनमें सहारनपुर की लोकसभा सीट भी है. ये वो सहारनपुर है जहां बीते चुनाव में बीजेपी को बीएसपी ने मात दी थी. वो लोकसभा सीट जहां मुस्लिम फैक्टर बेहद अहम हो जाता है. उसी सीट पर सियासी गुणा गणित क्या है?
सहारनपुर में वोटों का अंकगणित
मुस्लिम वोटर | साढ़े 6 लाख लगभग |
सवर्ण वोटर | 3.5 लाख लगभग |
SC वोटर | 3 लाख लगभग |
गुर्जर वोटर | 1.5 लाख लगभग |
भगवा फहराने के लिए BJP हर मुमकिन कोशिश कर रही
बीते लोकसभा चुनाव में बसपा के हाजी फजुर्लरहमान ने भाजपा के राघव लखनपाल शर्मा को 20 हजार वोटों के अंतर से हराया था. तब पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक और मोदी लहर के बावजूद बीजेपी कैंडिडेट लखनलाल जीत से महरूम रह गए. मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर कमल खिलाने को लेकर भाजपा मुस्लिम वोटरों को भी साधने में लगी है. भाजपा मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए हर कोशिश आजमा रही है.
सहारनपुर में सबसे ज्यादा राज कांग्रेस ने किया है.करीब 3 बार बसपा और दो-दो बार भाजपा और जनता पार्टी का कब्जा रहा है. 2014 में मोदी लहर के बीच इस सीट पर फतह करने के बाद 2019 में बीजेपी ने ये सीट गंवा दी थी. इसीलिए सहारनपुर समेत पश्चिमी यूपी में भगवा फहराने के लिए बीजेपी हर मुमकिन कोशिश को अंजाम दे रही है. कोशिश ये कि इस बसपाई सीट पर भाजपा की वापसी हो.
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