India Budget 2025: भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आर्थिक कदम उठाते हुए 6 प्रतिशत इक्विलाइजेशन टैक्स को हटाने का प्रस्ताव दिया है, जिसे आमतौर पर गूगल टैक्स के नाम से जाना जाता है। यह टैक्स विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं जैसे गूगल, मेटा (फेसबुक), और अमेजन पर लागू किया जाता था। सरकार के इस कदम से इन बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों को फायदा होगा, खासकर अमेरिका की कंपनियों के लिए, क्योंकि इससे उनके ऑपरेशंस में आसानी होगी और वे अधिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
डिजिटल सेवाओं की लागत में वृद्धि

भारत का यह निर्णय अमेरिका की चिंता को दूर करने के उद्देश्य से भी देखा जा रहा है, जिसमें भारत को एक उच्च-शुल्क वाला (High Tariff Nation) देश बताया गया था। गूगल, मेटा और अमेजन जैसी कंपनियों ने इस टैक्स को लेकर लंबे समय से विरोध जताया था, क्योंकि इससे उनकी डिजिटल सेवाओं की लागत में वृद्धि हो रही थी। अब, भारत सरकार ने इसे हटाने का प्रस्ताव किया है, जिससे इन कंपनियों को राहत मिलेगी और उनके लाभ मार्जिन में वृद्धि होगी।
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इक्विलाइजेशन शुल्क को खत्म करने का फैसला
यह कदम सरकार द्वारा 2025-26 के केंद्रीय बजट में पेश किया गया है, जिसमें कुल 50.65 लाख करोड़ रुपए का व्यय प्रस्तावित किया गया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 7.4 प्रतिशत ज्यादा है। वित्त मंत्री ने संसद में इस प्रस्ताव को पेश करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक स्थिति में अनिश्चितता को देखते हुए ऑनलाइन विज्ञापनों पर इक्विलाइजेशन शुल्क को खत्म करने का निर्णय लिया गया है।

भारत में निवेश की उम्मीद
इक्विलाइजेशन टैक्स की समाप्ति से विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं का पैसा बचने की संभावना है और इससे उनका लाभ मार्जिन भी बढ़ सकता है। इससे भारत में निवेश के माहौल में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा, इस कदम से भारतीय व्यवसायों को भी फायदा हो सकता है, क्योंकि विदेशी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन देने की लागत कम हो सकती है। इससे भारतीय कंपनियां अपनी मार्केटिंग गतिविधियों को और प्रभावी तरीके से बढ़ा सकती हैं, जो उन्हें ज्यादा ग्राहकों तक पहुंचने में मदद करेगा।