INDIA Alliance Protest: इंडिया ब्लॉक (INDIA Alliance) ने आज नई संसद के बाहर स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर 18% जीएसटी के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में नेता विपक्ष राहुल गांधी, एनसीपी के शरद पवार, शिवसेना यूबीटी के संजय राउत समेत सभी विपक्षी दलों के सांसदों ने हिस्सा लिया. स्वास्थ्य बीमा, जिसे मेडीक्लेम पॉलिसी भी कहा जाता है, पर जनता को दोहरा टैक्स देना पड़ता है. एक बार पॉलिसी खरीदते समय और दूसरी बार मेडिकल क्लेम का बिल भुगतान करते समय. सरकार इस मुद्दे पर कोई सुनवाई नहीं कर रही है.
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संसद में भी उठा मुद्दा
आपको बता दे कि यह मुद्दा सोमवार को टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने संसद में उठाया था, जिसका सभी दलों ने समर्थन किया. विपक्ष का कहना है कि मेडिकल बीमा पर 18% जीएसटी से मध्यम वर्ग पर भारी बोझ पड़ रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह तर्क कि जीएसटी परिषद ही इस मुद्दे पर निर्णय ले सकती है, त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि परिषद के दो-तिहाई सदस्य एनडीए शासित राज्यों से हैं.
बीमा पहुंच की समस्या
जीएसटी ज्यादा होने के कारण भारत में लोग कम बीमा पॉलिसी खरीदते हैं.वैश्विक स्तर पर 7% से अधिक लोगों की पहुंच मेडिकल बीमा तक है, जबकि भारत में यह संख्या 4% से भी कम है. जीएसटी ज्यादा होने और प्राइवेट बीमा कंपनियों में गलाकाट प्रतियोगिता और पारदर्शिता न होने के कारण लोग बीमा पॉलिसी कम लेते हैं. हालांकि, बीमा पॉलिसी किसी भी व्यक्ति के लिए फायदेमंद है.
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सरकार की न सुनने की शिकायत
विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार उनकी बात नहीं सुनती. जब वे लिखते हैं तो वित्त मंत्री कहती हैं कि जीएसटी परिषद इसे बदल देगी. यह तर्क गलत है. जीएसटी परिषद में एनडीए के मुकाबले विपक्ष शासित राज्यों के सदस्य कम हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि जीएसटी परिषद एक सलाहकार संस्था है, और वित्त मंत्री को इसके पीछे नहीं छिपना चाहिए.
इमरान प्रतापगढ़ी का बयान
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, “सरकार ने स्वास्थ्य बीमा और दवाइयों पर जो GST लगा रखी है उससे आम जनमानस बहुत परेशान है. नितिन गडकरी(केंद्रीय मंत्री) भी इसके लिए पत्र लिख चुके हैं. सरकार के अंदर भी इस बात के लिए बहुत विरोध है. पूरा विपक्ष आज इसके लिए विरोध प्रदर्शन कर रहा है. सरकार को आम आदमी को राहत देनी पड़ेगी.
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महुआ माजी का सरकार पर तंज
जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% GST वापस लेने की मांग को लेकर संसद में INDIA ब्लॉक के विरोध प्रदर्शन पर JMM नेता महुआ माजी ने कहा, “मोदी सरकार बिना कुछ सोचे समझे तानाशाही के तहत कुछ भी लागू कर देती है. नोटबंदी कर दी, GST लागू कर दिया. हेल्थ सेक्टर में अगर 18% GST होगा तो मध्यम वर्ग इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होगा… ये देश के साथ बहुत बड़ा अन्याय है. ये विरोध तबतक जारी रहेगा जब तक 18% GST खत्म नहीं होती.”
नितिन गडकरी का समर्थन…
केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर जीवन और चिकित्सा बीमा योजनाओं के प्रीमियम पर लगाए गए जीएसटी को वापस लेने का अनुरोध किया है. नितिन गडकरी का यह पत्र ऐसे समय सामने आया है जब केंद्रीय बजट 2024 की चौतरफा तीखी आलोचना हो रही है. नितिन गडकरी ने अपने पत्र में लिखा है कि वह नागपुर डिविजनल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ के एक ज्ञापन के बाद वित्त मंत्री को पत्र लिख रहे हैं. नितिन गडकरी ने लिखा है कि “कर्मचारी संघ द्वारा उठाया गया मुख्य मुद्दा जीवन और मेडिकल बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को वापस लेने से संबंधित है. जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जिन्दगी की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने की तरह है.”
सामाजिक आवश्यकता…
आपको बता दे कि नितिन गडकरी ने लिखा है, “कर्मचारी संघ का मानना है कि जो व्यक्ति परिवार को कुछ सुरक्षा देने के लिए जीवन की अनिश्चितताओं के जोखिम को कवर करता है, उस पर इस जोखिम के खिलाफ कवर खरीदने के लिए प्रीमियम पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए. इसी तरह, चिकित्सा बीमा (मेडीक्लेम पॉलिसी) प्रीमियम पर 18% जीएसटी इस क्षेत्र की वृद्धि में बाधा बन रहा है. सामाजिक रूप से यह जरूरी है कि इन पर से जीएसटी को वापस लिया जाए.”
विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ता जा रहा
स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी के खिलाफ विपक्ष का विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ता जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि यह जीएसटी मध्यम वर्ग पर भारी बोझ डाल रही है और इसे हटाया जाना चाहिए. वहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस मुद्दे पर वित्त मंत्री को पत्र लिखकर जीएसटी को वापस लेने का अनुरोध किया है. अब देखना यह है कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है.
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