UP Politics: लखनऊ (Lucknow) में आज बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हो रही है। इस बैठक में पार्टी के सभी बड़े नेता शामिल होंगे, जहां दोपहर 12 बजे के बाद से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। सबसे अहम, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा, जिसमें मायावती का फिर से चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है। मायावती वर्ष 2003 से बसपा की अध्यक्ष पद संभाल रही हैं और एक बार फिर पार्टी की कमान उनके हाथों में रह सकती है।
आकाश आनंद को मिल सकती है बड़ी भूमिका
इस बैठक में मायावती के भतीजे आकाश आनंद के कद को लेकर भी अटकलें तेज हैं। माना जा रहा है कि मायावती उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती हैं। आकाश को उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों की जिम्मेदारी दी जा सकती है। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, मायावती आकाश को राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय कर सकती हैं, जिससे उनकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाएगी। आकाश आनंद, जो बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर भी हैं, उनकी जिम्मेदारियों को बढ़ाए जाने की संभावना पर चर्चा जोरों पर है।
राजनीतिक संन्यास की अफवाहों पर विराम
हाल ही में मायावती ने अपने राजनीतिक संन्यास की अफवाहों को नकारते हुए स्पष्ट कर दिया था कि वह अभी राजनीति में सक्रिय रहेंगी। इस घोषणा के बाद से पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया अब महज औपचारिकता मानी जा रही है। इसके अलावा, पिछले कुछ दिनों में मायावती का आक्रामक रुख सरकार और विपक्ष दोनों के प्रति नजर आया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वह अभी भी राजनीतिक मैदान में पूरी तरह सक्रिय हैं।
आकाश आनंद की वापसी और भविष्य की तैयारी
मायावती ने दिसंबर 2023 में एक बैठक में आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था और उन्हें उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों का कामकाज सौंपा था। लेकिन आक्रामक रुख और अपरिपक्वता का हवाला देते हुए, पांच महीने बाद ही उन्होंने आकाश को सभी पदों से हटा दिया था। हालाँकि, यह निर्णय ज्यादा दिन तक नहीं चला और 23 जून को मायावती ने आकाश को फिर से नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया। अब, वह पार्टी में मायावती के दाहिने हाथ के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
खोते जनाधार को वापस पाने की कवायद
बसपा, जो दलित वोट बैंक पर अपनी मजबूत पकड़ के लिए जानी जाती है, हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में एक भी सीट न जीत पाने के बाद कमजोर नजर आ रही है। ऐसे में पार्टी के लिए अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से हासिल करना जरूरी हो गया है। मायावती, जो सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हो गई हैं, ने हाल ही में दलित आरक्षण के मुद्दे पर न्यायालय के फैसले का विरोध कर समर्थन जुटाने की रणनीति अपनाई है।
बसपा ने फैसला किया है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में वह सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी, जिससे गठबंधन न करने के उनके फैसले ने सभी को चौंका दिया है। आज की बैठक में इस पर भी चर्चा होगी कि पार्टी को अपने पारंपरिक वोट बैंक को कैसे मजबूत करना है और उपचुनाव की रणनीति क्या होगी। मायावती के नेतृत्व में बसपा एक बार फिर अपनी जड़ों को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय पार्टी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। वहीं, मायावती के राजनीतिक संन्यास की अफवाहों को नकारने के बाद से उनकी सक्रियता ने पार्टी को नया उत्साह दिया है। आज की बैठक में लिए गए फैसले, खासकर उपचुनाव को लेकर, बसपा के भविष्य की दिशा तय करेंगे। पार्टी के अंदर और बाहर सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि मायावती और उनकी टीम किस रणनीति के साथ आगे बढ़ती है।