NEET-UG Case: नीट-यूजी (NEET-UG) मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने रविवार देर रात सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें IIT मद्रास के निदेशक के खिलाफ हितों के टकराव के आरोपों का खंडन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले पर सुनवाई होनी है, जिसमें NEET-UG 2024 को रद्द करने की याचिकाओं और 40 से अधिक अन्य याचिकाओं पर अंतिम फैसला सुनाया जा सकता है। यह सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने होगी।
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एनटीए का नया हलफनामा
एनटीए (NTA) ने अपने हलफनामे में स्पष्ट किया है कि आईआईटी मद्रास के निदेशक, जो 2024 में जेईई एडवांस्ड आयोजित करने की जिम्मेदारी रखते हैं, एनटीए गवर्निंग बॉडी के पदेन सदस्य हैं। हलफनामे में जोर दिया गया है कि एनटीए के मुख्य कार्यों को इसकी प्रबंध समिति द्वारा निष्पादित किया जाता है, जबकि गवर्निंग बॉडी केवल नीतिगत मामलों को संभालती है।
हलफनामे में यह भी बताया गया है कि आईआईटी मद्रास के निदेशक ने गवर्निंग बॉडी की बैठकों में भाग लेने के लिए एक अन्य प्रोफेसर को नामित किया था, और इस नामित व्यक्ति ने दिसंबर 2023 में आखिरी बैठक में भाग लिया था। निदेशक ने खुद दिसंबर 2022 के बाद से एनटीए की किसी भी आम सभा की बैठक में भाग नहीं लिया है।
हितों के टकराव का आरोप
18 जुलाई को हुई पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने आईआईटी मद्रास के निदेशक पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था। उन्होंने तर्क दिया था कि निदेशक को एनटीए गवर्निंग बॉडी में उनकी स्थिति के कारण रिपोर्ट तैयार नहीं करनी चाहिए थी। सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि निदेशक की भूमिका पूरी तरह से जेईई एडवांस्ड परीक्षा आयोजित करने के उद्देश्य से थी और उन्होंने एनटीए बैठकों में भाग लेने के लिए एक अन्य प्रोफेसर को नियुक्त किया था।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं का जवाब
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल कर कहा कि एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट में IIT मद्रास की अधूरी रिपोर्ट दाखिल की है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनटीए ने अधूरे डेटा और विश्लेषण को सही ठहराने के लिए IIT मद्रास की अधूरी रिपोर्ट दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि टॉप 100 छात्रों में से 67 छात्रों को 720/720 अंक मिले, लेकिन रिपोर्ट में कोई असामान्यता नहीं दिखाई गई।
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शिक्षा मंत्रालय का कदम
शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर IIT मद्रास ने डेटा एनालिटिक्स रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि नीट यूजी परीक्षा में बड़े पैमाने पर पेपर लीक नहीं हुआ है। IIT मद्रास ने 1.4 लाख छात्रों के डेटा का विश्लेषण किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को इस रिपोर्ट को दर्ज किया था। यह मामला शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी के महत्व को उजागर करता है। नीट-यूजी जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा में अनियमितताओं के आरोप गंभीर हैं और छात्रों का भविष्य दांव पर है।
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क्या है मामला?
एनटीए (NTA) के खिलाफ दायर याचिकाओं में NEET-UG 2024 को रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि नीट-यूजी परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं और पेपर लीक हुए हैं, जिससे छात्रों का भविष्य खतरे में है। एनटीए ने इन आरोपों का खंडन करते हुए सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें IIT मद्रास के निदेशक के खिलाफ लगाए गए आरोपों को गलत बताया गया है।
एनटीए (NTA) को चाहिए कि वह इन आरोपों की निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले में महत्वपूर्ण होगा और यह सुनिश्चित करेगा कि छात्रों का विश्वास शिक्षा प्रणाली में बना रहे। यह आवश्यक है कि शिक्षा क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त न किया जाए और सभी परीक्षाएं निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित की जाएं। छात्रों की मेहनत और उनके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके और छात्रों को न्याय मिल सके। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय शिक्षा प्रणाली में विश्वास बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।