UP News : 2 अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर सैकड़ो आंदोलनकारी महिला और पुरुष दिल्ली की और कूच कर रहे थे। इस दौरान उन्हें मुजफ्फरनगर जनपद के रामपुर तिराहे पर पुलिस द्वारा रोक दिया गया था।आपको बता दें की इस दौरान आंदोलनकारियों और पुलिस बीच बड़ा संघर्ष भी हुआ था जिसमें पुलिस ने आंदोलनकारियों जमकर बर्बरता ढाई थी । जानकारी के मुताबिक इस दौरान जहां कई आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी तो कई लोग जख्मी भी हुए थे उस दौरान पुलिस कर्मियों पर आरोप था कि घटना के दौरान महिलाओं पर अत्याचार करते हुए उनका जबरन बलात्कार भी किया गया है।
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दोनों आरोपियों को न्यायालय द्वारा सजा सुनाई जाएगी
इस घटना में एक बलात्कार के मामले में मुजफ्फरनगर जनपद की adj7 कोर्ट ने तकरीबन 30 साल बाद आज पीएसी के दो कांस्टेबल मिलन सिंह और वीरेंद्र प्रताप को दोषी करार दिया है। जिसके बाद इन दोनों ही आरोपियों को जहां पुलिस अभिरक्षा में न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया है तो वहीं अब इस मामले में 18 मार्च को इन दोनों आरोपियों को न्यायालय द्वारा सजा सुनाई जाएगी।
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चार्ज शीट न्यायालय में दाखिल की गई
जिसकी जानकारी देते हुए सरकारी अधिवक्ता राजीव कुमार शर्मा ने बताया कि 2 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर एक बड़ी घटना हुई थी जिसमें उत्तराखंड के जो आंदोलनकारी थे उन पर अत्याचार किया गया था एवं महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। इसमें दो लोग मिलाप सिंह तथा वीरेंद्र प्रताप के खिलाफ मामला थाना छपार पर दर्ज कराया गया एवं इस मामले की विवेचना सीबीआई द्वारा की गई और चार्ज शीट न्यायालय में दाखिल की गई थी।
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इन अभियुक्तों को दोषी माना गया
चार्ज शीट दाखिल होने के बाद माननीय न्यायालय में यह मामला लंबे समय तक पेंडिंग रहा एवं मान्य उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश से यह मामला लगभग 1 वर्ष पूर्व श्री शक्ति सिंह जो कोर्ट नंबर 7 में adj7 है। उन्हें सुपुर्द किया गया एवं हमारे सीबीआई के अभियोजक दारा सिंह व हमारे एडीजे परविंदर कुमार के द्वारा लगातार इस मामले में मजबूत पैरवी भी की गई और कुल 18 गवाह इस मामले में माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए तथा उनका परीक्षण कराया गया साथ ही सभी पुलिस प्रपत्रों को माननीय न्यायालय के समक्ष साबित कराया गया और दोनों पक्षों की बहस को सुनने के बाद एवं साक्ष का प्रशिक्षण करने के बाद माननीय न्यायालय द्वारा आज इस मामले में अपना निर्णय सुनाया है जिसमें दोनों अभियुक्तों को दोषी माना है, इसमें 376, 354 तथा 509 धारा में इन अभियुक्तों को दोषी माना गया है।
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न्यायालय के समक्ष उनका परीक्षण कराया गया
यह दोनों अभियुक्त 41वीं वाहिनी पीएसी के कांस्टेबल थे और दोनों ही अभियुक्तों को आज माननीय न्यायालय द्वारा दोषी माना गया है, 2 अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर एक प्रदर्शन जो उत्तराखंड के क्रांतिकारी व प्रदर्शनकारी थे तो उनके खिलाफ यह अत्याचार हुआ था एवं महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था और महिलाओं के साक्ष्य अभी मान्य न्यायालय के समक्ष उनका परीक्षण कराया गया और उन्हीं के आधार पर आज दो अभियुक्त को गिल्टी होल्ड किया गया है।
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1 वर्ष में सुनवाई करते हुए इस मामले में आज उन्होंने अपना निर्णय सुनाया
व दोष सिद्ध माना गया है, इसमें 18 तारीख सजा के प्रश्न एवं सुनवाई हेतु नियुक्त है एवं हम माननीय न्यायालय से 18 तारीख को पुनः अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे और इन अभियुक्त को अधिक से अधिक सजा दिलाने का प्रयास करेंगे, यह मामला 30 साल लगातार कोर्ट में पेंडिंग रहा लेकिन जो हमारे माननीय न्यायाधीश शक्ति सिंह जी है उनके पास यह मामला एक वर्ष पूर्व माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश से आया था और 1 वर्ष में सुनवाई करते हुए इस मामले में आज उन्होंने अपना निर्णय सुनाया है।