Supreme Court On Bulldozer Action: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court ) ने शुक्रवार को स्पष्ट किया है कि यदि गुजरात के अधिकारियों ने संपत्तियों के ध्वस्तीकरण (Demolition) के संबंध में उसके आदेश की अवमानना की, तो अदालत उन्हें तोड़े गए ढांचों को फिर से बहाल करने का आदेश देगी। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने यह महत्वपूर्ण सुनवाई की, जिसमें देशभर में अपराध के आरोपियों सहित अन्य लोगों की संपत्तियों को बिना अनुमति के ध्वस्त करने के संबंध में प्रमुख आदेश दिए गए।
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किसने की याचिका दायर
‘समस्त पाटनी मुस्लिम जमात’ की ओर से दायर याचिका में वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि गुजरात में अधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कई ढांचों को ध्वस्त कर दिया (Bulldozer Action) है। यह स्थिति उस समय उत्पन्न हुई है जब सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि किसी भी संपत्ति का ध्वस्तीकरण केवल अदालत की अनुमति से किया जाएगा।
गुजरात सरकार का सख्त रुख
गुजरात के अधिकारियों की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि ध्वस्त किए गए ढांचे समुद्र के किनारे स्थित थे और सोमनाथ मंदिर से लगभग 340 मीटर की दूरी पर थे। तुषार मेहता ने यह भी बताया कि यह मामला न्यायालय द्वारा निर्धारित अपवाद के अंतर्गत आता है। इस पर पीठ ने कड़ा रुख अपनाया और कहा कि अगर अधिकारियों ने आदेश की अवमानना की, तो वे न केवल सजा के लिए उत्तरदायी होंगे, बल्कि उन्हें ढांचों को फिर से स्थापित करने का आदेश भी दिया जाएगा।
क्या था न्यायालय का पिछला आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया था कि अगर कोई अनधिकृत संरचना सार्वजनिक स्थान जैसे सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन, नदी या जल निकाय के निकट है, तो इसका आदेश लागू नहीं होगा। इसके अतिरिक्त, यदि किसी अदालत ने पहले से ध्वस्तीकरण का आदेश दिया हो, तो भी सर्वोच्च न्यायालय का आदेश लागू नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “अगर हमें लगता है कि वे हमारे आदेश की अवमानना कर रहे हैं, तो हम न केवल उन्हें जेल भेजेंगे, बल्कि उनसे यह सब बहाल करने के लिए भी कहेंगे।” पीठ ने इस मामले पर आगे की कार्रवाई के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से जवाब दाखिल करने के लिए कहा है और अगली सुनवाई की तारीख 16 अक्टूबर निर्धारित की है।
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