Champai Soren:झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जॉइन करने की अटकलों की खुद पुष्टि कर दी है। आज मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह बीजेपी क्यों शामिल हो रहे हैं और इस निर्णय के पीछे क्या वजहें हैं।चंपई सोरेन ने कहा कि 18 अगस्त को जब उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट की थी, तब भी वह इसी दिशा में सोच रहे थे।
उन्होंने बताया कि पहले वह राजनीति से संन्यास लेने या नया संगठन बनाने के विचार में थे, लेकिन समय की कमी के कारण ऐसा नहीं कर सके। सोरेन ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर उनका विश्वास बढ़ गया। इस विश्वास के आधार पर उन्होंने बीजेपी में शामिल होने का निर्णय लिया। उन्होंने यह भी बताया कि जनता ने इस निर्णय के लिए उनका समर्थन किया।
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इस वजह से BJPमें शामिल हुए सोरेन
चंपई सोरेन ने कहा कि पहले मैंने सोचा था कि मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा या नया संगठन बनाऊंगा लेकिन समय कम रहने के कारण ऐसा नहीं कर सका। फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ऊपर हमारा विश्वास बढ़ गया और फिर मैंने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फैसला ले लिया। उन्होंने कहा कि जनता ने भी इसके लिए हमें समर्थन दिया है।
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30 अगस्त को बीजेपी में होंगे शामिल
हालांकि चंपई सोरेन के साथ कुछ अन्य विधायकों के बीजेपी में शामिल होने की खबरों पर कुछ दिनों पहले हेमंत सोरेन ने स्थिति को संभालते हुए उन सभी विधायकों से बात की थी।चंपई सोरेन 28 अगस्त को हेमंत सोरेन कैबिनेट से इस्तीफा दे सकते हैं आधिकारिक तौर पर वो रांची में 30 अगस्त को बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करेंगे।चंपई सोरेन को हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था
इस दौरान चंपई सोरेन 2 फरवरी से 3 जुलाई तक करीब 5 महीने राज्य के सीएम रहे थे लेकिन हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आते ही बिना किसी पूर्व सूचना के उनको सीएम पद से हटा दिया गया था इससे चंपई सोरेन काफी दिनों से झामुमो से नाराज चल रहे थे।
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भाजपा के लिए लाभ का सौदा
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झामुमो के हाथों सभी पांच सुरक्षित सीटें गंवा दी थी। आदिवासी बिरादरी की नाराजगी का आलम यह था कि केंद्रीय मंत्री रहे अर्जुन मुंडा भी अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। चूंकि चंपई सोरेन परिवार के करीबी और आदिवासी वर्ग के दिग्गज नेता हैं, ऐसे में चंपई की बगावत से झामुमो को नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लग सकता है।