Hydrogen Train in India: भारत ने रेलवे क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा दिया है। देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन (Hydrogen Train) अब पटरी पर आने को तैयार है। यह ट्रेन 110 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलेगी। खास बात यह है कि इसमें न धुआं होगा और न शोर, जिससे यह पर्यावरण और ध्वनि प्रदूषण को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। लखनऊ (Lucknow) स्थित अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने इस हाइड्रोजन ट्रेन का खिलौना मॉडल हाल ही में छठी इनोरेल प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया। अब इसका ट्रायल हरियाणा के जींद और सोनीपत रेलवे स्टेशनों के बीच जल्द शुरू किया जाएगा। इस उपलब्धि के साथ भारत उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने ट्रेनों में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया है।
क्या है ट्रेन की खासियतें
- यात्री क्षमता और गति:
यह ट्रेन 8 कोच की होगी और इसमें 2,638 यात्री सफर कर सकेंगे। अधिकतम गति 110 किमी प्रति घंटे तक होगी। - तकनीकी संरचना:
ट्रेन के तीन कोच हाइड्रोजन सिलेंडरों के लिए समर्पित होंगे, जिनमें ईंधन सेल कन्वर्टर्स, बैटरी और एयर टैंक इंटीग्रेटेड होंगे। - ऊर्जा दक्षता:
हाइड्रोजन ईंधन सेल्स से बिजली उत्पन्न कर मोटर को चलाया जाएगा, जिससे यह पारंपरिक डीजल या कोयला ट्रेनों से ज्यादा ऊर्जा-कुशल साबित होगी। - शून्य उत्सर्जन:
हाइड्रोजन ट्रेन केवल स्टीम यानी भाप उत्सर्जित करती है, जो इसे पूरी तरह शून्य-उत्सर्जन समाधान बनाती है। - ध्वनि प्रदूषण पर काबू:
पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में यह काफी शांत होगी, जिससे ध्वनि प्रदूषण भी कम होगा।
2025 की शुरुआत में होगी ट्रायल की तैयारी
भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का फाइनल डिजाइन दिसंबर 2021 में तैयार किया गया था। अब जरूरी प्रक्रियाओं के बाद इसका परीक्षण 2025 के पहले तीन महीनों में होने की उम्मीद है। चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में इसका निर्माण कार्य जोरों पर है। जींद और सोनीपत के बीच का मार्ग ट्रायल के लिए इसलिए चुना गया है, क्योंकि यहां बुनियादी ढांचा मजबूत है और ट्रेन यातायात अपेक्षाकृत कम है।
हाइड्रोजन ट्रेन कैसे काम करेगी?
हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर ईंधन सेल्स में बिजली पैदा की जाती है, जिससे मोटर चलती है।
हाइड्रोजन ट्रेन को बिजली वाली पटरियों की जरूरत नहीं होती, जिससे यह गैर-विद्युतीकृत मार्गों के लिए आदर्श है।
पर्यावरण अनुकूल होने के साथ यह लंबी अवधि में किफायती साबित होगी।
भारत का हाइड्रोजन मिशन: 2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य
भारतीय रेलवे का लक्ष्य है कि 2030 तक वह शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल कर ले। हाइड्रोजन ट्रेन इस लक्ष्य को पाने में अहम भूमिका निभाएगी। लगभग 80 करोड़ रुपये की लागत वाली यह ट्रेन लंबे समय में सस्ती और टिकाऊ साबित होगी। हाइड्रोजन ट्रेन भारत के लिए तकनीकी नवाचार और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है। यह पहल न केवल रेलवे के भविष्य को नया रूप देगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करेगी। यह नई तकनीक भारत को पर्यावरण के साथ सामंजस्य बिठाने और टिकाऊ परिवहन के क्षेत्र में नेतृत्व की ओर अग्रसर करेगी।
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दुनिया में जगहों पर चल चुकी है हाइड्रोजन ट्रेनें
जर्मनी:
जर्मनी ने दुनिया की पहली दो-कोच वाली हाइड्रोजन ट्रेन चलाई है, लेकिन बड़े पैमाने पर सफलता अभी सीमित है।
चीन:
चीन भी हाइड्रोजन ट्रेनों के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
फ्रांस:
2025 तक फ्रांस ने हाइड्रोजन ट्रेनों को क्षेत्रीय लाइनों पर चलाने की योजना बनाई है।
यूके और स्वीडन:
यूके 2040 तक डीजल ट्रेनों को खत्म करने की योजना के तहत हाइड्रोजन ट्रेनों का परीक्षण कर रहा है। स्वीडन भी इस दिशा में काम कर रहा है।