Hiroshima Day: हर साल 6 अगस्त को हिरोशिमा (Hiroshima) दिवस मनाया जाता है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई उस भयावह घटना की याद दिलाता है जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापानी शहर हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था। इस विनाशकारी हमले की तस्वीरें आज भी लोगों के मन में दहशत भर देती हैं। 6 अगस्त 1945 का दिन मानव इतिहास का एक काला अध्याय है। इस दिन अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर “लिटिल बॉय” नामक परमाणु बम गिराया। यह बम शहर के केंद्र पर फटा और हिरोशिमा को पूरी तरह तबाह कर दिया। हाइपोसेंटर के 1.2 मील के भीतर का क्षेत्र या तो समतल हो गया या जल गया। इस विनाश के चलते दिसंबर 1945 के अंत तक लगभग 140,000 लोग मारे गए थे।
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विनाश का मंजर
हिरोशिमा में जो मंजर देखने को मिला, वह किसी की आंखों से नहीं मिटा। चारों ओर लाशों का ढेर बिछ गया था। कई लोगों की लाशें इतनी बुरी तरह से जली और बंटी हुई थीं कि उन्हें पहचानना मुश्किल था। परमाणु बम विस्फोट के बल ने कुछ लोगों को कई गज दूर फेंक दिया, इमारतें पूरी तरह से चकनाचूर हो चुकी थीं, मानों वहां पहले कुछ था ही नहीं। जीवित बचे लोग भी भयानक रूप से घायल हो गए थे, उनके कपड़े पूरी तरह फट चुके थे और वे जले हुए दिखाई देते थे।
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नागासाकी पर दूसरा हमला
हिरोशिमा पर हमले के तीन दिन बाद, 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर “फैट मैन” नामक दूसरा परमाणु बम गिराया। इस बम ने भी भयानक तबाही मचाई। नागासाकी में लगभग 70,000 से 80,000 लोग मारे गए और हजारों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इन दोनों परमाणु हमलों ने जापान को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ।
विकिरण का खौफ
परमाणु बम से निकलने वाला विकिरण मानव शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक था। इस विकिरण के चलते परमाणु बम हमले के सदियों बाद तक हानिकारक रेडियोधर्मी तत्व वहां मौजूद रहे। दशकों तक लोगों को त्वचा संबंधी विकार, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ा। लंबे समय तक लोगों को उल्टी, दस्त, बाल झड़ना और त्वचा संबंधी विकारों का सामना करना पड़ा। आज भी इस दिन को याद करके जापान के लोगों की रूह कांप जाती है।
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परमाणु हमलों का प्रभाव
हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। इन हमलों ने मानवता पर परमाणु हथियारों के भयानक प्रभाव को उजागर किया और यह संदेश दिया कि ऐसे हथियारों का प्रयोग किसी भी स्थिति में नहीं होना चाहिए। यह घटना आज भी शांति और सहअस्तित्व की महत्ता को रेखांकित करती है।
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हिरोशिमा और नागासाकी के पुनर्निर्माण
परमाणु हमलों के बाद हिरोशिमा और नागासाकी के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू हुआ। जापान ने इन शहरों को पुनर्जीवित करने के लिए अपार प्रयास किए। आज, हिरोशिमा और नागासाकी दोनों ही शहर आधुनिक और विकसित हो चुके हैं, लेकिन उनके इतिहास की गूंज आज भी वहां की इमारतों और लोगों की यादों में बसी है।
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हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले हमें यह सिखाते हैं कि युद्ध और हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकते। इन हमलों ने यह संदेश दिया कि शांति और सहअस्तित्व ही मानवता की प्रगति का मार्ग हैं। आज, इन शहरों में शांति पार्क और संग्रहालय स्थापित किए गए हैं, जो आगंतुकों को उस विनाशकारी घटना की याद दिलाते हैं और शांति का संदेश देते हैं। हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों की भयावहता को कभी नहीं भुलाया जा सकता। यह घटना मानवता के लिए एक चेतावनी है कि हमें शांति और सहअस्तित्व को अपनाना चाहिए और युद्ध और हिंसा से दूर रहना चाहिए। परमाणु हथियारों का उपयोग किसी भी परिस्थिति में नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इनका प्रभाव केवल विनाश और पीड़ा ही लाता है। हमें इन घटनाओं से सीख लेकर एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।
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