Barabanki News: बाराबंकी के एक नर्सिंग कॉलेज की छात्रा ने अपनी जान दे दी थी। यह घटना 27 जुलाई की थी अब इस पर कई सच सामने आये है। 27 जुलाई को हिंद मेडिकल कॉलेज (Hind Medical College) में नर्सिंग की छात्रा सलोनी पुष्कर ने रैगिंग से तंग आकर आत्महत्या कर ली। उसका शव उसके कमरे में फंदे से लटका हुआ मिला था। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने इसे सामान्य आत्महत्या माना था, लेकिन परिजनों की शिकायत के बाद मामले ने नया मोड़ ले लिया।
मंगलवार देर रात, शहर कोतवाली पुलिस ने सलोनी के परिजनों की तहरीर पर एक सीनियर छात्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। सलोनी पुष्कर बहराइच जिले के रुपईडीहा थाना क्षेत्र के रामपुर हुसैन बख्श गांव की निवासी थी। सलोनी की मां, गोमती देवी, ने इसे प्रताड़ना और रैगिंग से तंग आकर आत्महत्या बताया।
मां ने लगाया रैगिंग आरोप
गोमती देवी ने तहरीर में आरोप लगाया कि सलोनी जीएनएम तृतीय वर्ष की छात्रा थी और जब वह प्रथम वर्ष में थी तब उसकी रूममेट सीनियर छात्रा वर्षा यादव थी। वर्षा लगातार सलोनी के लिए जातिसूचक शब्द इस्तेमाल करती थी और रैगिंग भी करती थी। सलोनी ने आत्महत्या से पहले भी घर पर फोन करके अपनी परेशानी बताई थी।
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कॉल रिकॉर्डिंग ने खोली सच्चाई
जांच के दौरान पुलिस को एक कॉल रिकॉर्डिंग भी मिली है, जिसमें सलोनी बता रही है कि 26 जुलाई को उसने कॉलेज के प्राचार्य और विभागाध्यक्ष से मिलकर अपनी परेशानी बताई थी। उन्होंने उसे यह कहकर टाल दिया कि पढ़ाई के दौरान यह सब चलता है। सलोनी की मां ने आत्महत्या के बाद कमरे की स्थिति पर भी सवाल उठाए, और हत्या की आशंका जताई। सलोनी के परिजनों ने सबूत के तौर पर पुलिस को एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सौंपी है, जिसमें सलोनी बता रही है कि उसने अपनी परेशानी प्राचार्य और विभागाध्यक्ष को बताई थी, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इस ऑडियो के आधार पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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पुलिस की कार्रवाई
हिंद मेडिकल कॉलेज में मृत मिली छात्रा के मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। संदिग्ध पाए जाने वालों के नाम विवेचना में शामिल किए जाएंगे। पुलिस इस मामले में सभी संभावित एंगल से जांच कर रही है, ताकि सच्चाई सामने आ सके। सलोनी की आत्महत्या ने हिंद मेडिकल कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कॉलेज के प्राचार्य और विभागाध्यक्ष पर लापरवाही का आरोप है कि उन्होंने सलोनी की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया।
रैगिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग
इस घटना ने एक बार फिर रैगिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग को जोर दिया है। छात्रों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना हर शैक्षणिक संस्थान की जिम्मेदारी है। रैगिंग जैसी कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए सख्त कानूनों और उनकी कड़ी अनुपालना की आवश्यकता है। इस दु:खद घटना से यह स्पष्ट होता है कि समाज और शिक्षण संस्थानों को रैगिंग जैसी समस्याओं के प्रति और अधिक सतर्क और जिम्मेदार होने की आवश्यकता है।
शिक्षण संस्थानों को चाहिए कि वे रैगिंग के खिलाफ कड़े कदम उठाएं और छात्रों की शिकायतों को गंभीरता से लें। यह हमारे समाज की जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों को सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल प्रदान करें, ताकि वे अपने भविष्य को बिना किसी भय के संवार सकें।