Kolkata Doctor Death Case: पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को काम पर लौटने का दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही पश्चिम बंगाल में चल रहे विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए डॉक्टरों को काम पर लौटने के निर्देश दिए थे। सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि कोर्ट को इस मामले की स्थिति रिपोर्ट सीबीआई से प्राप्त करनी चाहिए। उन्होंने इस मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इसे लाइव स्ट्रीम करने की प्रक्रिया को जारी रखने का निर्देश दिया।
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सीबीआई की रिपोर्ट पर चर्चा
कोर्ट ने सीबीआई द्वारा अब तक की गई जांच की प्रगति पर चर्चा की और स्थिति रिपोर्ट पर ध्यान दिया। इससे पहले, अदालत ने चिंता व्यक्त की थी कि पोस्टमॉर्टम के लिए आवश्यक एक महत्वपूर्ण दस्तावेज नहीं था और पश्चिम बंगाल सरकार से इस पर रिपोर्ट मांगी थी। 22 अगस्त को कोर्ट ने महिला डॉक्टर की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी पर कोलकाता पुलिस से नाराजगी जताई थी।
सुप्रीम कोर्ट की दलीलें
सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि आरोप पत्र दाखिल करने में 60 दिन क्यों लगेंगे। सरकारी वकील ने जवाब दिया कि यह अवधि 60 से 90 दिन हो सकती है, जिसका कोर्ट ने विरोध किया। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को खुलासा करने की अनुमति दी, यह मानते हुए कि जांच से सच्चाई का पता चलेगा। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि कोई सबूत नष्ट नहीं हुआ है और मामले में किसी अन्य व्यक्ति की मिलीभगत की जांच की जा रही है।
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वकील इंदिरा जयसिंह की टिप्पणी
डॉक्टरों की ओर से वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को सूचित किया कि अपराध स्थल पर कुछ व्यक्तियों की मौजूदगी थी और उन्होंने इन व्यक्तियों के नाम सीलबंद लिफाफे में सीबीआई को सौंपने की पेशकश की। उन्होंने इस मुद्दे को सार्वजनिक करने से इंकार किया और अदालत को आश्वस्त किया कि जांच में सहयोग किया जाएगा।
मामले में पुलिस की भूमिका
गौरतलब है कि 9 अगस्त को प्रशिक्षु डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिला था, जिसके बाद से पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पुलिस ने इस मामले में कोलकाता पुलिस के नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया है। टीएमसी सरकार और पश्चिम बंगाल पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। तनाव बढ़ते देख कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।