World Arthritis Day: आज के दिन विश्व गठिया दिवस (World Arthritis Day) मनाया जाता है। दिवस गठिया (Arthritis) की बीमारी में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। गठिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों में सूजन, दर्द, कठोरता और जकड़न हो जाती है। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह बुजुर्गों में अधिक आम है। आर्थराइटिस (गठिया) जोड़ों को प्रभावित करने वाली गंभीर समस्या है जिसका खतरा बढ़ता ही जा रहा है। आंकड़ों से पता चलता है कि कम उम्र, यहां तक कि 30 की आयु से पहले भी लोग गठिया रोग का शिकार हो रहे हैं। साल 2020 में 595 मिलियन (59.5 करोड़) लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित थे, जो साल 1990 के डेटा से करीब 132% अधिक है। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि 2050 तक ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 1 बिलियन (100 करोड़) तक हो सकती है।
गठिया के कई प्रकार होते हैं
गठिया के प्रकार की बात करें तो गठिया के कई प्रकार होते हैं, जिनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस जो उम्र के साथ होता है और जोड़ों में दिक्कत होती है, रूमेटॉइड आर्थराइटिस जोकि एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम हेल्दी टिश्यू पर हमला करती है, जिससे जोड़ों में सूजन होती है, आर्थराइटिस जोकि यूरिक एसिड के क्रिस्टल के जोड़ों में जमा होने के कारण होता है।
गठिया के लिए कई इलाज हैं
इसके लक्षणों को अप अपनी डाइट में बदलाव करके भी कम कर सकते हैं। आर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार (ref) एंटी इंफ्लेमेटरी फूड के सेवन से गठिया के दर्द, सूजन और अन्य लक्षणों की गंभीरता को कम किया जा सकता है। गठिया के मरीजों को कौन-कौन से एंटी इंफ्लेमेटरी फूड खाने चाहिए।
साबुत अनाज, फाइबर और पोषक जैसे ले आहार
अपनी डाइट में ब्राउन राइस, क्विनोआ, साबुत गेहूं और ओट्स जैसे अनाज शामिल करने चाहिए। साबुत अनाज में फाइबर और पोषक तत्व होते हैं जो सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) के लेवल को कम करते हैं, जो गठिया से जुड़े सूजन का एक बड़ा कारण है। ग्रीन टी, हल्दी, अदरक, लहसुन और बीन्स आदि का भी सेवन करें।आर्थराइटिस के मरीज अपनी डाइट में बादाम, अलसी, चिया सीड्स और अखरोट जैसे नट्स एंड सीड्स शामिल करें। इनमें जरूरी फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं, जो सूजन को कम कर सकते हैं, दिल को स्वस्थ रखते हैं और गठिया के लक्षणों में सुधार कर सकते हैंएक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल में ओलियोकैंथल होता हैl
जो एक ऐसा यौगिक है जिसमें नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) के जैसे एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। ऑलिव ऑयल के सेवन सेआपको गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।गठिया के मरीजों को पत्तेदार साग (पालक, केल), बेरीज (स्ट्राबेरी, ब्लूबेरी), ब्रोकोली और खट्टे फल आदि का सेवन करना चाहिए। इनमें विटामिन सी, कैरोटीनॉइड्स और फ्लेवोनॉइड्स जैसे एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन को कम करते हैं।ओमेगा-3 फैटी एसिड फैटी मछली (सैल्मन, सार्डिन, मैकेरल), चिया सीड्स, अलसी और अखरोट आदि में पाया जाता है। ओमेगा-3 साइटोकिन्स और प्रोस्टाग्लैंडिन को रोककर जोड़ों में सूजन और कठोरता को कम करने में मदद करते हैं।
क्या कहते है विशेषज्ञ
दुनियाभर में जिस तरह से जोड़ों की ये समस्या बढ़ती जा रही है, इसके खतरे को देखते हुए सभी लोगों को कम उम्र से ही बचाव के उपाय शुरू कर देने चाहिए। आर्थराइटिस का असर जीवन की गुणवत्ता पर भी होता है, इसमें आपके लिए दिनचर्या के सामान्य कार्यों को करना तक कठिन हो सकता है। हड्डी रोग विशेषज्ञ बताते हैं, आर्थराइटिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें जोड़ों में सूजन और दर्द बना रहता है। यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ आम हो जाती है, लेकिन आजकल युवाओं में भी यह देखने को मिल रही है। इसे रोकने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।व्यायाम, शारीरिक सक्रियता, आहार में सुधार जैसे छोटे-छोटे बदलाव आपको आर्थराइटिस से सुरक्षित रखने में सहायक हो सकते हैं।
अपने वजन को कंट्रोल रखना सबसे जरूरी
अध्ययनों में आर्थराइटिस की बढ़ती समस्या के लिए बढ़ते वजन को प्रमुख कारण माना गया है। वजन अधिक होने से सभी जोड़ों जैसे घुटने, कूल्हों और रीढ़ पर अधिक दबाव पड़ता है, ये गठिया की समस्या को बढ़ावा देने वाली स्थिति है। इसलिए कम उम्र से ही वजन को कंट्रोल में रखना जरूरी है।व्यायाम और संतुलित आहार इसमें आपके लिए मददगार माने जाते हैं।
संतुलित आहार का सेवन जैसे फाइबर, विटामिन, और खनिजों से भरपूर चीजें खाने और शारीरिक गतिविधि-योग आदि से वजन को कंट्रोल रखना आसान हो जाता है।स्वस्थ और पौष्टिक आहार न केवल आपके वजन को नियंत्रित रखने में सहायक है, बल्कि हड्डियों-जोड़ों की सेहत के लिए भी महत्वपूर्ण है। एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट वाली चीजों का सेवन जरूर करें। ताजे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज को अपने आहार में शामिल करें।
गलत मुद्रा में बैठने और सोने से अनावश्यक दबाव पड़ता
ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें जोड़ों की समस्याओं को कम करने और संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक रखने में मददगार हैं। लंबे समय तक बैठे रहने वाले लोगों में गठिया सहित कई अन्य समस्याओं का खतरा अधिक देखा जाता है। ये शारीरिक निष्क्रियता को भी बढ़ा देती है जिससे वजन बढ़ने और जोड़ों की समस्याओं का खतरा अधिक होता है। इसी तरह गलत मुद्रा में बैठने और सोने से रीढ़ की हड्डी और अन्य जोड़ों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है, जिससे आर्थराइटिस हो सकता है।
बैठते समय पीठ को सीधा रखें और पैरों को जमीन या किसी सपोर्ट पर आराम से टिकाएं। धूम्रपान और शराब इन दो आदतों का संपूर्ण स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर देखा जाता है, इससे आर्थराइटिस का भी खतरा हो सकता है। अध्ययनों में धूम्रपान की आदत को रूमेटाइड अर्थराइटिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक पाया गया है। धूम्रपान के कारण आपके शरीर में सूजन को बढ़ाने वाले साइटोकिन्स बढ़ने लगते हैं। इस एक आदत को छोड़कर आप कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव कर सकते हैं।