World Mental Health Day 2024: मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता का कारण बनी हुई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में दुनियाभर में 97 लाख से अधिक लोग मानसिक स्वास्थ्य विकारों से पीड़ित थे जिनमें चिंता और अवसाद जैसी बीमारियां सबसे प्रमुख देखी जा रही हैं।आंकड़ों के मुताबिक हर 6 में से 1 व्यक्ति को किसी न किसी तरह की मेंटल हेल्थ की समस्या हो सकती है।यह स्थितियां सामान्य आबादी की तुलना में पीड़ितों की आयु 10 साल तक कम कर सकती हैं।मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर होने का जोखिम रहता है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं ऑफिस में काम करने वाले लोगों में मानसिक स्वास्थ्य विकारों के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं।कुछ हालिया रिपोर्ट्स में कथित तौर पर इसी वजह से मौत के मामले भी सामने आए थे।
मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दिया जाना जरूरी
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों को शिक्षित और जागरूक करने के साथ सामाजिक कलंक की भावना दूर करने के लिए हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) मनाया जाता है। इस साल मनाए जाने वाले मानसिक स्वास्थ्य दिवस का थीम है-इट्स टाइम टू प्रयोरिटाइज मेंटल हेल्थ एट वर्कप्लेस यानी कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दिया जाना जरूरी है।
50%से अधिक आबादी में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, करीब 50% से अधिक आबादी को अपने जीवनकाल में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा रहता है। एक तिहाई अमेरिकियों का कहना है कि,काम का दबाव और वर्कप्लेस से संबंधित समस्याएं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। 80% का कहना है वे काम के दौरान अक्सर तनाव महसूस करते हैं।
Read More:Haryana Election Results: हिसार सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी Savitri Jindal की ऐतिहासिक जीत
क्या कहता है सर्वे ?
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन ने इस समस्याओं को लेकर किए गए एक सर्वे में पुष्टि की है कि,मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना कर्मचारियों के लिए उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए है। रिपोर्ट में महिला कर्मचारियों में बर्नआउट की चिंताजनक दर का खुलासा किया गया है जिसके मुताबिक एक तिहाई से ज्यादा महिलाएं बर्नआउट की शिकायत करती हैं।
बर्नआउट और कर्मचारियों में ज्यादा होती है समस्या
बर्नआउट तनाव से अलग स्थिति है जिसमें कर्मचारी अपने सामान्य स्तर पर काम करने में असमर्थ होते हैं जिसके कारण कार्य की गुणवत्ता तो प्रभावित होती ही है साथ ही यह स्थिति मानसिक दबाव को भी बढ़ाने वाली मानी जाती है।साल 2022 में किए गए एक सर्वे में 44% नियोक्ताओं ने कर्मचारियों में कई तरह की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ते हुए देखा।
Read More:BOLLYWOOD UPDATE’S: क्या बॉलीवुड को लग गयी है किसी की नज़र? पहले इमरान हाशमी अब तुलसी कुमार!
अनियमित समय पर काम करने से वर्क-लाइफ बैलेंस प्रभावित
रिपोर्ट से पता चलता है कि,लंबे या अनियमित समय पर काम करने, वर्क-लाइफ बैलेंस प्रभावित होने, कर्मचारियों पर अत्यधिक काम का भार होने जैसी स्थितियां मेंटल हेल्थ की समस्याओं को बढ़ा रही हैं।इसके अलावा ज्यादातर कर्मचारियों को नौकरी जाने की चिंता बनी रहती है इसका भी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर देखा जा रहा है। क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?इसके साथ जिस तरह से नियमित रूप से ऑफिसों में हेल्थ चेकअप किए जाते हैं उसी तरह से ऑफिस में मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग की जानी चाहिए।ये बदलाव बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को कंट्रोल करने के लिए बहुत जरूरी है।