नई दिल्ली: स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन का भुगतान न करने को लेकर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई साथ ही 20 हजार का जुर्माना भी लगाया हैं फैसले में सुनाई जुर्माने की राशि जो तय की गई हैं वो राशि स्वतंत्रता सैनिक 96 साल के उत्तीम लाल सिंह को मिलेगी। आपको बतादें कि केंद्र सरकार पर 40 साल तक एक स्वतंत्रता सेनानी 96 वर्षीय उत्तीम लाल सिंह को स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन का भुगतान न करने को लेकर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई।
स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन भुगतान को लेकर न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र सरकार पर 20 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार की पेंशन जारी करने में निष्क्रियता स्वतंत्रता सेनानी का अपमान है। हाल में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था, जिसमें केंद्र पर जुर्माने की 20 हजार की राशि तय की गई। जुर्माना राशि 96 साल के स्वतंत्रता सेनानी उत्तीम लाल सिंह को मिलेगी। बताते चले उत्तीम पिछले 40 सालों से अपनी पेंशन पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कोर्ट ने आदेश में कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तीम लाल सिंह को पेंशन देने में लापरवाही बरती है।
छह सप्ताह के अंदर देने का दिया निर्देश
दिल्ली हाई कोर्ट ने जुर्माना राशि याचिकाकर्ता को छह सप्ताह के अंदर देने का निर्देश दिया हैं। पीठ ने केंद्र सरकार को स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन 1 अगस्त, 1980 से पेंशन राशि के भुगतान की तारीख तक छह प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 12 सप्ताह के अंदर जारी करने का निर्देश दिया। पीठ ने केंद्र सरकार को जुर्माना राशि याचिकाकर्ता को छह सप्ताह के अंदर देने का निर्देश दिया।
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स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना की गई थी घोषणा
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ने वाले और खून बहाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने के लिए स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना की घोषणा की गई थी। लेकिन 96 साल के एक स्वतंत्रता सेनानी को अपनी वाजिब पेंशन पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। कोर्ट ने कहा- याचिकाकर्ता से संबंधित सभी दस्तावेजों को बिहार सरकार की ओर से सत्यापित किया गया है। दस्तावेज को बार-बार पुन: सत्यापित करने के केंद्र सरकार के आग्रह को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
जानें पीठ ने क्या कहा…
स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन को लेकर पीठ ने कहा- “वह यह समझने में असमर्थ है कि जब बिहार राज्य ने पहले ही पेंशन देने के लिए सिंह के नाम की सिफारिश की थी और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट ने पिछले साल उनके नाम का सत्यापन किया था, तो फिर स्वतंत्रता सेनानी को पेंशन क्यों नहीं दी जा रही है।” पीठ ने आगे कहा- “पेंशन योजना की मूल भावना केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये से पराजित हो रही है। देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के साथ केंद्र सरकार की ओर से जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है उसे देखना दर्दनाक है।