Haryana Election 2024: हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी आंतरिक कलह का सामना कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता पहले से ही गुटों में बंटे हुए थे, लेकिन टिकट बंटवारे के बाद यह खींचतान और बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की पांच सीटों पर जीत हासिल की थी, जिससे पार्टी का मनोबल बढ़ा हुआ है, लेकिन सिरसा से सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा की नाराजगी पार्टी के लिए सिरदर्द बन गई है।
कुमारी शैलजा हरियाणा के प्रमुख दलित नेताओं में गिनी जाती हैं। ऐसे में भाजपा उनकी अनदेखी के मुद्दे को हवा देकर दलित वोटरों को अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रही है। यह समीकरण हरियाणा चुनावों में निर्णायक साबित हो सकता है, क्योंकि राज्य के दलित मतदाता चुनावी परिणामों में अहम भूमिका निभाते हैं।
हरियाणा में दलित मतदाताओं का प्रभाव
हरियाणा की राजनीति में दलित मतदाता हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहे हैं। राज्य में दलितों की आबादी लगभग 21 फीसदी है, जो चुनाव परिणामों पर सीधा प्रभाव डालती है। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में दलित समुदाय का समर्थन किसी भी पार्टी के लिए अहम है।
कुमारी शैलजा का दलित समुदाय से आना और उनका कांग्रेस में बड़ा चेहरा होना, कांग्रेस के लिए एक मजबूत आधार था। लेकिन अब जब शैलजा की नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं, तो यह पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है। कांग्रेस का नेतृत्व लगातार यह दावा कर रहा है कि कुमारी शैलजा नाराज नहीं हैं, लेकिन राजनीतिक माहौल में यह मसला चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
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कुमारी शैलजा की नाराजगी का कारण
कुमारी शैलजा की नाराजगी की वजह टिकट बंटवारे में उनकी अनदेखी है। हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दबदबा टिकट वितरण में साफ दिखाई दिया, जबकि कुमारी शैलजा अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में नाकाम रहीं। शैलजा के करीबी माने जाने वाले अजय चौधरी का नारनौंद सीट से टिकट कट जाना इस नाराजगी का एक बड़ा कारण है। चौधरी की जगह जस्सी पेटवाड़ को टिकट दिया गया, जिन्होंने शैलजा के खिलाफ जातिगत टिप्पणी की थी। यह फैसला शैलजा के समर्थकों में असंतोष का कारण बन गया है।
शैलजा ने पिछले लोकसभा चुनाव में सिरसा से भाजपा के उम्मीदवार अशोक तंवर को हराया था। अशोक तंवर, जो कभी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, हुड्डा खेमे के साथ तनातनी के चलते पार्टी से बाहर हो गए और भाजपा में शामिल हो गए। तंवर भी दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और उनके बाद शैलजा को कांग्रेस का सबसे बड़ा दलित चेहरा माना जाता है। इस वजह से शैलजा की नाराजगी कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है।
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दलित मतदाताओं पर सभी दलों की नजर
दलित मतदाताओं के महत्व को देखते हुए हरियाणा में सभी राजनीतिक दल उन्हें लुभाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ गठबंधन किया है, ताकि दलित वोट बैंक को अपने पाले में कर सके। दूसरी ओर, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन किया है। इससे चुनावी जंग और तीखी हो गई है, क्योंकि सभी दल दलित वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
भाजपा का कुमारी शैलजा को ऑफर
भाजपा भी दलित वोटरों को अपने पाले में करने की कोशिश में लगी हुई है। कुमारी शैलजा की नाराजगी की खबरों के बाद भाजपा ने शैलजा को पार्टी में शामिल होने का खुला निमंत्रण दिया है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने दलित बेटी कुमारी शैलजा का अपमान किया है। खट्टर ने शैलजा को भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव देकर दलित मतदाताओं को संदेश देने की कोशिश की है कि भाजपा उनकी चिंताओं को लेकर गंभीर है।
भाजपा की यह रणनीति स्पष्ट रूप से दलित मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की है। हालांकि, कुमारी शैलजा ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। कांग्रेस पार्टी ने यह दावा किया है कि शैलजा पार्टी से नाराज नहीं हैं और पूरी तरह से कांग्रेस प्रत्याशियों का समर्थन कर रही हैं।
कांग्रेस के लिए बढ़ती चुनौतियां
कुमारी शैलजा की नाराजगी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है, क्योंकि दलित समुदाय की बड़ी संख्या में मौजूदगी के चलते उनका समर्थन चुनाव परिणामों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है। पार्टी को न केवल अपने आंतरिक कलह से निपटना होगा, बल्कि भाजपा और अन्य दलों के हमलों का भी जवाब देना होगा।
आगामी चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस शैलजा के साथ अपने संबंधों को कैसे सुधारती है और क्या वह दलित मतदाताओं का विश्वास बनाए रखने में सफल होती है। दूसरी ओर, भाजपा और अन्य दल इस मौके का फायदा उठाकर दलित वोट बैंक को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
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