Haryana Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनावों की सरगर्मी अपने चरम पर है। भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत सभी प्रमुख दल चुनावी मैदान में जोर-शोर से उतर चुके हैं। 90 विधानसभा सीटों के लिए कड़े मुकाबले का माहौल है, और चुनावी जीत के लिए हर दल एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज हरियाणा के चुनाव प्रचार अभियान में शिरकत करेंगे और सोनीपत में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। यह रैली भाजपा की सत्ता में तीसरी बार वापसी के लिए अहम मानी जा रही है।
पीएम मोदी का हरियाणा दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा से लौटे हैं और आते ही वे हरियाणा के चुनावी रण में कूदने को तैयार हैं। उनकी यह रैली सोनीपत में होगी, जहां वे भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में जनता को संबोधित करेंगे। मोदी के हरियाणा दौरे को पार्टी के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि राज्य में भाजपा को सत्ता-विरोधी लहर और अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है।
पीएम मोदी ने किया ट्वीट: भाजपा को मिलेगी प्रचंड जीत
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए अपनी रैली की घोषणा की। उन्होंने लिखा, “हरियाणा की जनता भारतीय जनता पार्टी को चुनावों में निर्णायक जीत देने के लिए पूरी तरह तैयार है। लोकतंत्र के इस उत्सव में उमंग और उत्साह का माहौल है। मैं कल दोपहर 12 बजे सोनीपत की रैली में शामिल होकर जनता-जनार्दन का आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य पाऊंगा।” पीएम मोदी का यह ट्वीट इस बात की ओर इशारा करता है कि भाजपा राज्य में एक बार फिर से सत्ता हासिल करने के प्रति आश्वस्त है। मोदी की लोकप्रियता और भाजपा के चुनावी रणनीति के चलते पार्टी को उम्मीद है कि वह तीसरी बार सत्ता में वापसी करेगी।
भाजपा की सत्ता में वापसी का प्रयास
भाजपा पिछले 10 सालों से हरियाणा की सत्ता में काबिज है और इस बार फिर से तीसरी बार सत्ता में लौटने की कोशिश कर रही है। हालांकि, पार्टी को सत्ता-विरोधी लहर और विपक्षी दलों से कड़ी चुनौती मिल रही है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जजपा-आजाद समाज पार्टी और इनेलो-बसपा गठबंधन भाजपा को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत से थोड़ा कम 40 सीटें मिली थीं, जबकि बहुमत का आंकड़ा 45 था। कांग्रेस ने उस चुनाव में 31 सीटें जीतीं थीं। इसके बाद भाजपा ने दुष्यंत चौटाला की जजपा (जननायक जनता पार्टी) के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। जजपा के 10 विधायक सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हो गए थे। लेकिन इस बार भाजपा को अंदरूनी कलह और गठबंधन की जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे पार्टी के लिए यह चुनाव पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है।
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कांग्रेस और अन्य दलों की कड़ी चुनौती
भाजपा के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया है। कांग्रेस इस बार सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है, जबकि आम आदमी पार्टी भी राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जोर-शोर से प्रचार कर रही है। जजपा-आजाद समाज पार्टी और इनेलो-बसपा गठबंधन भी इस बार के चुनावी मैदान में अहम भूमिका निभा सकते हैं। विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं और राज्य की जनता के बीच बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और किसान मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।
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भाजपा के सामने चुनौतियां: सत्ता विरोधी लहर और अंदरूनी कलह
भाजपा इस बार सत्ता-विरोधी लहर का सामना कर रही है। राज्य में पिछले दस सालों से सत्तारूढ़ पार्टी को बेरोजगारी, महंगाई और किसानों के मुद्दों पर आलोचना झेलनी पड़ रही है। इसके अलावा, पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह भी चुनौती बनकर उभर रही है। जजपा के साथ गठबंधन के बावजूद कई क्षेत्रों में पार्टी के नेताओं के बीच आपसी मतभेद देखे जा रहे हैं, जो चुनावी परिणामों पर असर डाल सकते हैं। हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होगा और 8 अक्टूबर को मतगणना की जाएगी।
चुनाव आयोग ने निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोनीपत रैली भाजपा के चुनावी अभियान में नई ऊर्जा भरने का काम करेगी। भाजपा इस बार भी सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है, लेकिन उसे विपक्षी दलों की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। हरियाणा का चुनावी समर इस बार बेहद दिलचस्प होने वाला है, जहां सभी दल अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं।
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