YouTube Channel Hacked: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आधिकारिक यूट्यूब चैनल को हैक कर लिया गया है। इस घटना ने पूरे सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। हैकर्स ने चैनल पर सुप्रीम कोर्ट से जुड़े मामलों की वीडियो सामग्री को हटाकर उसकी जगह अमेरिकी कंपनी रिपल लैब्स द्वारा विकसित क्रिप्टोकरेंसी एक्सआरपी का प्रचार किया। हैक होने के बाद चैनल पर एक ब्लैंक वीडियो प्रदर्शित किया जा रहा है, जिसमें ‘ब्रैड गार्लिंगहाउस: रिपल ने SEC के 2 बिलियन डॉलर के जुर्माने पर प्रतिक्रिया दी’ जैसे शीर्षक दिखाई दे रहे हैं। इस घटना ने न्यायपालिका की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
लाइव स्ट्रीमिंग के लिए बढ़ती सुरक्षा चिंता
सुप्रीम कोर्ट का यूट्यूब चैनल संविधान पीठों के समक्ष सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने 2018 में जनहित के मामलों की सुनवाई को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया था। हालांकि, हैकर्स का यह हमला चिंता का विषय है, क्योंकि यदि ऐसी सुरक्षा खामियाँ अदालत की अन्य वेबसाइटों पर भी होती हैं, तो संवेदनशील दस्तावेजों के लीक होने का खतरा बढ़ सकता है।
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पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पहले भी हैकिंग के शिकार हो चुकी है। 2018 में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें हैकरों ने वेबसाइट को अपने नियंत्रण में ले लिया था। इस बार भी यही सवाल उठ रहा है कि हैकर्स ने इतनी संवेदनशील जानकारी तक पहुंच कैसे प्राप्त की। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर सुरक्षा में कमी और अद्यतन न होना ऐसे मामलों को बढ़ावा देता है।
क्या हो सकते है हैकर्स के मनसूबे
यह घटना केवल सुप्रीम कोर्ट के यूट्यूब चैनल तक सीमित नहीं है। यदि इस तरह के हमले जारी रहते हैं, तो आम जनता की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। अदालत के मामलों की संवेदनशीलता को देखते हुए, हैकर्स का यह कदम न केवल न्यायपालिका के प्रति असम्मानजनक है, बल्कि यह समाज में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या हमारी न्यायिक प्रणाली सुरक्षित है।
सरकार और न्यायपालिका की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट का यूट्यूब चैनल हैक होना केवल एक तकनीकी खामी नहीं है, बल्कि यह न्यायपालिका के प्रति एक गंभीर चुनौती है। इस घटना के बाद सरकार और न्यायपालिका ने सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने का निर्णय लिया है। तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम तैयार की जा रही है, जो हैकिंग के संभावित खतरों का पूर्वानुमान लगाने और उनके खिलाफ आवश्यक कदम उठाने में मदद करेगी। साथ ही, आम जनता को भी यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का सुरक्षित उपयोग करें।