Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है, जिसे विशेष रूप से गुरुओं के सम्मान में मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के अनुयायियों के बीच अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके मार्गदर्शन के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का पर्व 24 जुलाई को मनाया जाएगा।
गुरु बिन भव निधि तरइ न कोई।
जौ बिरंचि संकर सम होई।।
अर्थात गुरु के बिना कोई भवसागर नहीं तर सकता, चाहे वह ब्रह्मा जी और शंकर जी के समान ही क्यों न हो। जिस ज्ञान की प्राप्ति के बाद मोह उत्पन्न न हो, दुखों का शमन हो जाए तथा परब्रह्म अर्थात स्वयं के स्वरूप की अनुभूति हो जाए, ऐसा ज्ञान गुरु कृपा से ही प्राप्त हो सकता है।
गुरु का महत्व
गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु के महत्व को रेखांकित करता है। संस्कृत में ‘गुरु’ का अर्थ है ‘अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला’। गुरुओं का हमारे जीवन में वही स्थान है जो एक दीपक का अंधकार में होता है। वे हमें ज्ञान, संस्कार और जीवन के सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं।
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महाभारत से गुरु पूर्णिमा की कहानी
गुरु पूर्णिमा का महत्व महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास ने महाभारत की रचना की और चारों वेदों का संकलन किया। उन्हें भारतीय संस्कृति का महान गुरु माना जाता है। इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
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बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा
बौद्ध धर्म में भी गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह दिन गौतम बुद्ध द्वारा अपने पहले उपदेश को दिए जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्होंने अपने पांच शिष्यों को सारनाथ में अपना पहला धर्मोपदेश दिया था, जिसे ‘धर्मचक्रप्रवर्तन’ कहा जाता है। बौद्ध अनुयायी इस दिन को गुरु के प्रति आदर और सम्मान के साथ मनाते हैं।
गुरु पूर्णिमा के अनुष्ठान
गुरु पूर्णिमा के दिन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और समारोह आयोजित किए जाते हैं। लोग अपने गुरुओं के चरणों में फूल, फल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करते हैं। इस दिन विशेष पूजा, हवन और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और अपने गुरुओं से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आधुनिक समय में भी गुरु का महत्व कम नहीं हुआ है। आजकल के गुरु शैक्षिक संस्थानों में शिक्षकों के रूप में, जीवन कोच के रूप में, योग और ध्यान सिखाने वाले गुरुओं के रूप में, और आध्यात्मिक मार्गदर्शकों के रूप में हमारे जीवन को संवारते हैं। गुरु पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है जो हमें हमारे गुरुओं के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का अवसर देता है।
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आधुनिक समय में गुरु का स्थान
यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि ज्ञान और शिक्षा का हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान है। गुरुओं का सम्मान और आभार व्यक्त करने से हम न केवल उनके प्रति अपना कर्तव्य निभाते हैं, बल्कि उनके मार्गदर्शन को भी मान्यता देते हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में गुरु का स्थान और भी महत्वपूर्ण हो गया है। एक सही मार्गदर्शक हमें हमारे लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता कर सकता है और हमें जीवन के कठिन समय में सही दिशा दिखा सकता है।
गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर, हमें अपने गुरुओं को याद करना चाहिए, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को समृद्ध करना चाहिए। यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि ज्ञान की यात्रा कभी समाप्त नहीं होती और हमेशा सीखने की प्रक्रिया में लगे रहना चाहिए।