Gurmeet Ram Rahim Parole: डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) को एक बार फिर 20 दिन की पैरोल मिल गई है, जिसके तहत वह जेल से बाहर आ गया है. पैरोल पर रिहाई के लिए राम रहीम की ओर से राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को आवेदन दिया गया था, जिसमें उन्होंने 5 अक्टूबर को अपने पिता मग्गर सिंह की पुण्यतिथि का हवाला दिया था. इसके अलावा भी कुछ अन्य कारणों का उल्लेख किया गया था.
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चुनाव के समय पर मिली पैरोल
राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) की यह पैरोल ऐसे समय में मिली है, जब राज्य में चुनाव होने वाले हैं. चुनाव के दौरान जेल में बंद कैदी की रिहाई के लिए राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी की अनुमति अनिवार्य होती है. यह पहली बार नहीं है जब राम रहीम को चुनाव के समय पैरोल दी गई हो. इससे पहले भी लोकतंत्र के महत्वपूर्ण समय में राम रहीम को फरलो या पैरोल मिल चुकी है.
राम रहीम की रिहाई का इतिहास
गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) को 2017 में सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद से वह अब तक 10 बार पैरोल या फरलो पर जेल से बाहर आ चुका है. कुल मिलाकर राम रहीम अब तक 255 दिनों के लिए जेल से बाहर रह चुका है.
24 अक्टूबर 2020: बीमार मां से मिलने के लिए 1 दिन की पैरोल.
21 मई 2021: बीमार मां से मिलने के लिए 12 घंटे की पैरोल.
7 फरवरी 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले 3 हफ्ते की फरलो.
17 जून 2022: 30 दिन की पैरोल.
19 जून 2022: हरियाणा शहरी निकाय चुनाव.
14 अक्टूबर 2022: 40 दिन की पैरोल, हरियाणा पंचायत चुनाव के दौरान.
21 जनवरी 2023: 40 दिन की पैरोल.
20 जुलाई 2023: 30 दिन की पैरोल.
20 नवंबर 2023: 21 दिन की फरलो, राजस्थान विधानसभा चुनाव के समय.
19 जनवरी 2024: 50 दिन की पैरोल, लोकसभा चुनाव के समय.
13 अगस्त 2024: 21 दिन की फरलो, हरियाणा चुनाव की तारीखों की घोषणा के कुछ दिन पहले.
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पैरोल पर सवाल और राजनीतिक बहस
गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) को लगातार चुनाव के समय पर पैरोल मिलना सवाल खड़े करता है. हर बार चुनाव के समय पर राम रहीम की रिहाई का समय और राजनीतिक परिदृश्य को लेकर चर्चाएं होती हैं. राम रहीम के समर्थकों की संख्या को देखते हुए उनकी पैरोल का चुनावी माहौल पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे हर बार उनकी रिहाई पर नजर रखी जाती है. गुरमीत राम रहीम की पैरोल पर रिहाई एक बार फिर से चर्चाओं में है. लगातार चुनावी समय पर रिहाई मिलने से कई सवाल खड़े होते हैं, लेकिन अब देखना होगा कि इस बार उनकी रिहाई से राज्य के चुनावी माहौल पर क्या असर पड़ता है.
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