D Gukesh Youngest Chess World Champion: भारत के 18 वर्षीय शतरंज के सितारे डोम्माराजू गुकेश (Gukesh Dommaraju) ने 2024 की वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में इतिहास रचते हुए दुनिया के सबसे युवा चेस चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। सिंगापुर में आयोजित इस टूर्नामेंट में गुकेश ने चीन के डिंग लीरेन को हराकर यह प्रतिष्ठित खिताब जीता। इस जीत के साथ ही उन्होंने 1985 में गैरी कास्पारोव के रिकॉर्ड को तोड़ दिया, जिन्होंने 22 साल और 6 महीने की उम्र में विश्व चैंपियन बनने का कारनामा किया था।
गुकेश की शानदार यात्रा और ऐतिहासिक जीत
बताते चले कि, वर्ल्ड चैंपियनशिप का सफर गुकेश (Gukesh Dommaraju) के लिए आसान नहीं था। पहले राउंड में वह पिछड़ गए थे, लेकिन तीसरे राउंड में उन्होंने शानदार वापसी की। 18 वर्षीय गुकेश ने पहले खुद को चुनौती दी, फिर 11वें राउंड में एक मजबूत बढ़त बनाई। हालांकि, डिंग लीरेन ने अगले राउंड में अपनी कठिनाई के बावजूद हार मानने का नाम नहीं लिया। अंत में, गुकेश ने आखिरी राउंड में शानदार प्रदर्शन करते हुए चैंपियनशिप जीत ली। गुकेश की इस जीत से न केवल शतरंज की दुनिया में तहलका मच गया, बल्कि उन्होंने अपने आत्मविश्वास और कठोर मेहनत से यह सिद्ध कर दिया कि सफलता की कोई उम्र नहीं होती।
प्रधानमंत्री मोदी की बधाई
गुकेश की ऐतिहासिक जीत के बाद, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई संदेश भेजते हुए लिखा, “यह जीत ऐतिहासिक और अनुकरणीय है। डी गुकेश को इस शानदार उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई। यह टैलेंट, कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम है। उनकी इस सफलता ने न केवल शतरंज के इतिहास में अपना नाम दर्ज किया है, बल्कि लाखों युवाओं को बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए प्रेरित किया है। मैं उन्हें भविष्य के टूर्नामेंट्स के लिए शुभकामनाएं देता हूं।”
गुकेश की कड़ी मेहनत और शानदार उपलब्धियां
आपको बता दे कि, गुकेश (Gukesh Dommaraju) की चेस यात्रा की शुरुआत पिछले साल दिसंबर में हुई थी, जब उन्होंने चेन्नई ग्रैंडमास्टर्स टूर्नामेंट जीतकर कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में अपनी जगह बनाई थी। कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में पहले फाबियानो कारूआना और हिकारू नाकामुरा जैसे अमेरिकी दिग्गजों को प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन गुकेश ने उन सबको पीछे छोड़ते हुए कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर शतरंज की दुनिया में तहलका मचा दिया। इस दौरान उन्होंने अपने साथी और अन्य युवा भारतीय खिलाड़ी आर प्रज्ञानानंदा को भी पीछे छोड़ दिया।
गुकेश की इस सफलता ने न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर के शतरंज प्रेमियों को प्रेरित किया है। उनकी यात्रा और जीत ने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत, समर्पण और विश्वास से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
आने वाले टूर्नामेंट्स
गुकेश (Gukesh Dommaraju)के लिए यह सिर्फ शुरुआत है। अब वह अपनी इस ऐतिहासिक जीत के बाद आने वाले टूर्नामेंट्स में भी अपनी कड़ी मेहनत और प्रदर्शन से भारतीय शतरंज का नाम रोशन करने के लिए तैयार हैं। उनकी इस सफलता ने भारतीय शतरंज को एक नई दिशा दी है और युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा दी है कि अगर समर्पण और मेहनत सही दिशा में हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।
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