Fake Medical Degree Racket: गुजरात पुलिस (Gujarat police) ने सूरत में एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो अंगूठाछाप और आठवीं पास लोगों को भी 70-80 हजार रुपये पर मेडिकल की डिग्री बांटने का काम कर रहे थे।मेडिकल डिग्री बांटने वाला यह गिरोह 8वीं और 12वीं पास करने वालों को 60 हजार से 80 हजार रुपये में फर्जी डॉक्टरों को मेडिकल डिग्री बेच रहा था गिरोह का सरगना रमेश नाम का एक शख्स है जिसको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
फर्जी मेडिकल डिग्री बेचने वालों का भंडाफोड़
फर्जी मेडिकल डिग्री (Fake Medical Degree) बांटने वालों के गिरोह का भंडाफोड़ होने पर पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि,यह गिरोह बेहद चालाकी से अपना काम कर रहा था जो बोर्ड ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन (BEHM) गुजरात के नाम पर फर्जी डिग्री जारी कर रहा था।छापेमारी के दौरान गुजरात पुलिस को गिरोह के पास से सैकड़ों की संख्या में फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं पुलिस ने फर्जी मेडिकल डिग्री का गिरोह चलाने वाले सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए सूरत के कई शहरों में एकसाथ छापेमारी की है।
गिरोह के सरगना डॉ रमेश गुजराती को पुलिस ने किया अरेस्ट
शहर में फर्जी डिग्री बांटने वाले गिरोह का सरगना डॉ रमेश गुजराती है जिसको पुलिस ने हिरासत में ले लिया है उसके पास से पुलिस को सैकड़ों प्रमाण पत्र,आवेदन पत्र और कई नकली मुहरें बरामद हुई हैं।पुलिस ने बताया कि,डॉ रमेश गुजराती ने देश में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के लिए कोई नियम-कानून ना होने का फायदा उठाते हुए एक फर्जी बोर्ड बनाया जिसमें उसने कुछ लोगों को जोड़कर 3 साल के अंदर इलेक्ट्रो होम्योपैथी की ट्रेनिंग देकर तैयार किया और इसके लिए उसने डिग्रियां बांटने की शुरुआत की।
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60 से 80 हजार रुपये में बेची जा रही थी फर्जी मेडिकल डिग्री
पुलिस जांच में पता चला कि,गिरोह ने मेडिकल की इन फर्जी डिग्रियों (Fake Medical Degree) को फर्जी वेबसाइट पर रजिस्टर किया था जिसके लिए उसने 5 लोगों को इस काम में रखा था गिरोह ने पिछले कई सालों में 8वीं से 10वीं तक पढ़ाई करने वाले करीब 1200 से अधिक लोगों को मेडिकल की डिग्री बांटी इसके लिए गिरोह के सरगना ने 60 से 80 हजार रुपये वसूले जिसने डिग्री के लिए रकम दे दी उसको एक सप्ताह के भीतर प्रमाण पत्र सौंप दिया।
गुजरात पुलिस अधिकारियों को जब इस गिरोह के बारे में सूचना मिली तो पुलिस को 3 ऐसे शख्स के बारे में जानकारी मिली जो नकली डिग्री लेकर एलोपैथ मेडिकल का अभ्यास कर रहे थे जिसके बाद राजस्व विभाग की टीम के साथ पुलिस ने उनकी क्लीनिकों पर छापेमारी की पुलिस जांच में पता चला कि,सभी के पास मेडिकल की फर्जी डिग्री थी जो उन्होंने गिरोह से 80 हजार रुपये में खरीदी थी।
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