एलन मस्क और साउथ अफ्रीका के बीच बढ़ता तनाव लगातार सुर्खियां में चल रहा हैं। मस्क ने अपनी कंपनी, स्टारलिंक, के साउथ अफ्रीका में संचालन को लेकर गुस्सा जाहिर किया। उनका कहना है कि साउथ अफ्रीका में स्टारलिंक को इजाजत नहीं दी जा रही, क्योंकि वह “ब्लैक” नहीं हैं। उनका यह बयान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वायरल हुआ, जिसके बाद विवाद और बढ़ गया।
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क्या है पूरा विवाद?

यह विवाद साउथ अफ्रीका की सरकार द्वारा लागू किए गए नस्ल आधारित कानूनों से जुड़ा हुआ है। साउथ अफ्रीका में ऐसा कानून है, जिसके तहत यदि कोई विदेशी कंपनी वहां व्यवसाय करना चाहती है, तो उसके पास कम से कम 30% स्वामित्व किसी ब्लैक व्यक्ति का होना चाहिए। यह नीति अफ्रीका के बोर्ड-बेस्ड ब्लैक पॉलिसी का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ब्लैक समुदाय को सशक्त बनाना और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है। साउथ अफ्रीका की सरकार का यह मानना है कि इस नीति से वहां के समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित किया जा सकेगा।
साउथ अफ्रीका ने नीति को बताया नस्लवादी
मस्क के लिए यह नियम परेशानी का कारण बन गया है, क्योंकि उनका कहना है कि स्टारलिंक की सेवाएं वहां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं, और इसकी वजह साउथ अफ्रीका का यह नीति है। उन्होंने सीधे तौर पर इस नीति को नस्लवादी बताया और कहा कि इस कारण उनकी कंपनी को वहां काम करने की अनुमति नहीं मिल रही है।

मस्क ने यह बयान तब दिया, जब Mario Nawfal ने साउथ अफ्रीका के 140 नस्ल आधारित कानूनों का विरोध किया था। Nawfal ने इन कानूनों को “एंटी व्हाइट” करार दिया और अमेरिका के समर्थन का भी जिक्र किया। इसके जवाब में मस्क ने कहा कि वह “ब्लैक” नहीं हैं, इसलिए स्टारलिंक को साउथ अफ्रीका में काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही।
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स्टारलिंक पर साउथ अफ्रीका की रोक
आपको बता दे कि… यह पहली बार नहीं है हुआ जब एलन मस्क के स्टारलिंक पर साउथ अफ्रीका में रोक लगी है। अगस्त 2023 में, साउथ अफ्रीका सरकार ने स्टारलिंक किट्स के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था, साथ ही सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं की उपलब्धता पर भी रोक लगा दी थी। इस कदम ने मस्क और उनके व्यवसाय के लिए कई समस्याएं खड़ी कर दी थीं। इसके बाद से मस्क लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं, और अब उनका गुस्सा एक बार फिर सामने आया है।

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इंटरनेट कनेक्टिविटी सेवा
स्टारलिंक, जो कि एक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा है, दुनिया के कई हिस्सों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने की योजना पर काम कर रही है। भारत में भी इसके आने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन साउथ अफ्रीका जैसे देशों में इसके विस्तार में मुश्किलें आ रही हैं। एलन मस्क का कहना है कि यह नस्लीय भेदभाव के कारण हो रहा है, और उन्होंने इसके खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है।