चीन की सरकार अपने गवर्नमेंट ऑफीशियल्स के लिए नए नियम लेकर आती रहती है, चीनी अधिकारियों और कर्मचारियों को आदेश दिया गया है, कि वो सरकारी काम के लिए एपल के आईफोन और विदेशी कंपनियों के डिवाइस यूज ना करें।

iPhone BAN: चीन और अमेरिका के बीच तनाव अब और भी बढ़ सकता है। बता दे कि चीन ने अचानक Iphone के इस्तेमाल पर बैन लगाकर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। हालांकि, यह रोक केवल सरकारी अधिकारियों पर लागू होगी। वही चीन ने कहा है, कि एप्पल आईफोन और अन्य विदेशी ब्रांड की डिवाइसेज को इस्तेमाल नहीं करना है, और इन्हें ऑफिस भी नहीं लाना है। वही बता दे कि यह प्रतिबंध अगले सप्ताह होने वाले एपल इवेंट से पहले लगाया गया है।
इस वीकेंड दिया गया था आदेश…

हाल के वीकेंड्स में सीनियर्स ने अपने कर्मचारियों को यह आदेश दिया था। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि इस आदेश को कितने बड़े पैमाने पर दिया गया है। बता दे कि फिलहाल यह प्रतिबंद अगले हफ्ते होने वाले एपल इवेंट से ठीक पहले ताया गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह आईफोन की एक नई सीरीज लॉन्च करने के बारे में होगा और चीन अमेरिका तनाव बढ़ने की वजह से चीन काम करने वाली विदेशी कंपनियों के बीच चिंता पैदा हो सकती है।
रूस आईफोन से अमेरिका पर जासूसी करने आरोप लगा चुका है…

तीन महीने पहले रूस ने अमेरिका पर आईफोन से जासूसी करने का आरोप लगाया था। हालांकि एपल ने सभी आरोपों को खारिज किया था। एपल ने कहा था, ‘हमने कभी भी किसी देश की सरकार के साथ मिलकर फोन में छेड़छाड़ नहीं की है और न ही कभी करेंगे।’
अमेरिकी कंपनी एप्पल बनाती है आइफोन…

बता दें कि अमेरिकी कंपनी Apple द्वारा आइफोन बनाया जाता है। इन दिनों अमेरिका और चीन में तनाव के चलते कई अमेरिकी कंपनियां चीन से अपना कारोबार खत्म कर वो भारत जैसे देशों का रुख कर रही हैं। ऐसे में चीन भी आइफोन पर बैन लगाकर अमेरिका को झटका देने का संदेश देना चाहता है। चीनी सरकार के प्रवक्ता ने रॉयटर्स के अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया।
एक दशक से अधिक समय से, चीन विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहा है। चीन बैंकों जैसी राज्य संबद्ध कंपनियों को स्थानीय सॉफ्टवेयर पर स्विच करने और घरेलू चिप विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कह रहा है। बीजिंग ने 2020 में इस अभियान को तेज कर दिया, जब इसके नेताओं ने विदेशी बाजारों और प्रौद्योगिकी पर निर्भरता को कम करने के लिए एक तथाकथित “दोहरे परिसंचरण” विकास मॉडल का प्रस्ताव रखा, क्योंकि डेटा सुरक्षा पर इसकी चिंता बढ़ गई थी।
डाटा सेफ्टी को लेकर सतर्क है चीन…

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में एपल के अलावा दूसरे फोन मेकर्स का नाम नहीं लिया गया। एपल और चीन के स्टेट काउंसिल इंफोर्मेशन ऑफिस ने अभी तक कोई बयान नहीं दिया है। चीन हाल के वर्षों में डाटा सेफ्टी को लेकर काफी सतर्क हो गया है, और उसने कंपनियों के लिए नए कानून और नियम लागू किए हैं। मई में, चीन की सरकार ने सरकारी कंपनियों टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता हासिल करें। ताकि अमेरिका टेक्नॉलाजी के मामले में टक्कर दी जा सके।
पूरी तरह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा चीन…

चीन का मकसद पूरी तरह आत्मनिर्भता हासिल करना है। वह दुनिया का सुपर पॉवर बनने का सपना देख रहा है। मई में, चीन ने बड़े राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों (एसओई) से प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने के अपने अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह किया, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मतभेदों के बीच दौड़ में वह आगे बढ़ सके। चीन-अमेरिका में इस वक्त तनाव बहुत अधिक है। इसकी वजह वाशिंगटन द्वारा अपने चिप उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण उपकरणों तक चीन की पहुंच को अवरुद्ध करने के लिए सहयोगियों के साथ काम करना है। आइफोन के साथ ही बीजिंग ने विमान निर्माता बोइंग और चिप कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी सहित प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के शिपमेंट को प्रतिबंधित कर दिया है।