Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में ही बड़ा झटका लगा है। चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र के गोला तहसील के जिला पंचायत वार्ड नंबर 43 में हुए उपचुनाव में सपा समर्थित प्रत्याशी ने भाजपा समर्थित प्रत्याशी को करारी शिकस्त दी है। यह चुनाव पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी की उनके गांव में लगाई जा रही प्रतिमा को लेकर उठे विवाद के बीच हुआ था। इस परिणाम से चिल्लूपार से भाजपा विधायक राजेश तिवारी की साख पर भी सवाल उठ रहा है।
संजय पासवान की जीत से सपा में खुशी की लहर
गोला ब्लाक के जिला पंचायत के वार्ड नंबर 43 में हुए उपचुनाव में सपा समर्थित प्रत्याशी संजय पासवान ने 1559 मतों से विजय प्राप्त की। दूसरे स्थान पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी धर्मवीर भारती रहे। इस चुनाव में चार प्रत्याशी मैदान में थे। 8 अगस्त को विकास खंड गोला के सभागार में एसडीएम गोला राजू कुमार और बीडीओ दिवाकर सिंह की व्यवस्था में मतगणना हुई। एआरओ नीरज ने बताया कि मतगणना के लिए 10 काउंटर बनाए गए थे। 10 राउंड की मतगणना में सपा समर्थित प्रत्याशी संजय पासवान शुरू से ही बढ़त पर रहे। उन्हें कुल 5753 मत मिले, जबकि भाजपा समर्थित प्रत्याशी धर्मवीर भारती को 4194 मत, बसपा समर्थित प्रत्याशी अखीस कुमार को 3257 और निर्दलीय सविता को 127 मत मिले। कुल 13686 मत पड़े थे, जिसमें से 366 मत अवैध पाए गए।
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भाजपा के बड़े नेताओं की उपस्थिति के बावजूद हार
गोला क्षेत्र बांसगांव लोकसभा सीट में आता है। यहां से भाजपा सांसद कमलेश पासवान मोदी सरकार में केन्द्रीय ग्रामीण राज्यमंत्री बने हैं। वे कुछ दिन पहले क्षेत्र में भ्रमण भी किए थे। इतना ही नहीं, चिल्लूपार से भाजपा विधायक राजेश तिवारी और भाजपा एमएलसी सीपी चंद भी इसी क्षेत्र से आते हैं। सपा जिलाध्यक्ष बृजेश गौतम का कहना है कि 2024 में लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में जो माहौल बना है, वह 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी दिखेगा। उन्होंने कहा कि थाने से लेकर तहसील में भ्रष्टाचार चरम पर है और आम जनता भाजपा सरकार में कराह रही है।
इस उपचुनाव के परिणाम से यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा को अपने गढ़ में भी अब चुनौती मिल रही है। सपा की यह जीत आगामी चुनावों के लिए संकेत हो सकती है कि जनता अब बदलाव की ओर देख रही है। हरिशंकर तिवारी की प्रतिमा विवाद ने भी इस चुनाव को और महत्वपूर्ण बना दिया था, जिसका असर परिणामों में साफ दिखा। अब देखना होगा कि भाजपा इस हार से क्या सबक लेती है और आगामी चुनावों में कैसे सुधार करती है।
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