Ghazipur News: गाजीपुर के समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। हाल ही में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने ऐसा बयान दिया, जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चा गरमा गई है। अफजाल अंसारी ने तर्क दिया कि गांजा को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए, क्योंकि इसे भगवान का प्रसाद कहा जाता है। उन्होंने आगे कहा कि अगर कुंभ मेले में एक मालगाड़ी गांजा भेजी जाए, तो उसकी खपत पूरी हो जाएगी। उनका यह बयान सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
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“गांजा भगवान का प्रसाद है, तो अवैध क्यों?”
अफजाल अंसारी ने गांजा को वैधता देने के मुद्दे पर सरकार पर दोहरी नीति का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब साधु-संत और महात्मा इसे भगवान का प्रसाद मानते हुए सेवन करते हैं, तो इसे अवैध क्यों माना जाए? उन्होंने कहा, “गांजा को लोग बड़े चाव से पीते हैं, फिर सरकार इसे अवैध क्यों मानती है?” अंसारी का यह बयान इस सवाल को जन्म देता है कि क्या सरकार धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं के बीच संतुलन बनाने में असमर्थ है?
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अपराधियों पर कार्रवाई हो, लेकिन न्यायसंगत हो
अफजाल अंसारी ने अपराधियों के खिलाफ हो रही पुलिस कार्रवाई पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि वे अपराधियों पर कार्रवाई का विरोध नहीं करते, लेकिन कार्रवाई निष्पक्ष और न्यायसंगत होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारा कानून किसी को यह अधिकार नहीं देता कि कहानी बनाकर किसी को ठोंक दिया जाए।” उनका इशारा कहीं न कहीं उन फर्जी एनकाउंटर्स की ओर था, जिन पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं।
शराब की नई दुकानों पर बंदी की मांग
सांसद अफजाल अंसारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से अपील की कि नई शराब की दुकानें बंद करवाई जाएं। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म में यह नहीं कहा गया है कि शराब की दुकानों का विस्तार होना चाहिए। उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब शराब की बिक्री को बढ़ावा दिया जा रहा है, तो भांग और गांजा जैसी पारंपरिक चीजों को अवैध कैसे माना जा सकता है। उन्होंने सवाल उठाया, “अगर भांग और गांजा भगवान का प्रसाद है, तो यह अवैध और गैर-कानूनी क्यों है?”
बीफ एक्सपोर्टर्स पर भी साधा निशाना
अफजाल अंसारी ने बीफ एक्सपोर्टर्स के मुद्दे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब दुकानदारों के नेम प्लेट पर कोई आपत्ति नहीं है, तो देश के 10 सबसे बड़े बीफ एक्सपोर्टर भी अपना नाम सार्वजनिक करें। यह बयान भी काफी विवादास्पद रहा, क्योंकि यह सीधे तौर पर धार्मिक और व्यापारिक संगठनों को निशाना बनाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद विवाद पर टिप्पणी
अंसारी ने तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple) के प्रसादम विवाद पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस विवाद को जानबूझकर हाईलाइट किया गया, ताकि इसका ठेका गुजरात को सौंपा जा सके। यह बयान भी राजनीतिक माहौल को और गर्म करने वाला साबित हुआ है, क्योंकि इसे केंद्र सरकार की नीतियों पर सीधा आरोप माना जा रहा है।
राजनीतिक बयानबाजी या गंभीर मुद्दा?
अफजाल अंसारी के इन बयानों ने सियासी हलकों में एक बार फिर से चर्चा छेड़ दी है। जहां एक ओर उनके समर्थक इसे धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास मान रहे हैं, वहीं विरोधी इसे महज राजनीतिक बयानबाजी करार दे रहे हैं। गांजा को वैधता देने की मांग ने उनके विरोधियों को उन पर और अधिक निशाना साधने का मौका दे दिया है। गांजा को भगवान का प्रसाद बताकर कानूनी वैधता की मांग ने राजनीतिक पटल पर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। अब देखना यह है कि सरकार और समाज इन बयानों पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या यह वाकई एक गंभीर मुद्दा बनेगा या सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रहेगा।
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