लखनऊ संवाददाता- मोहम्मद कलीम
लखनऊ। बीकेटी कोतवाली में प्रापर्टी डीलर व उसकी पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ है। गोमतीनगर विशालखंड निवासी रश्मि शुक्ला के मुताबिक फरवरी 2021 में उन्होंने डालीगंज निवासी ऊषा चौधरी से सम्पर्क किया। जो पति सिराज उर्फ मेराज के साथ मिल कर प्रापर्टी डीलिंग करती है। आरोपियों ने बीकेटी के महोना में रश्मि को जमीन दिखाई जिसका सौदा 22 लाख में तय हुआ। रश्मि ने चेक के जरिए भुगतान किया। बीकेटी तहसील में रजिस्ट्री हुई।
रश्मि के अनुसार दाखिल खारिज के लिए उन्होंने तहसील में वाद दायर किया। इस बीच ऊषा चौधरी ने एक विक्रय अनुबंध प्रस्तुत किया। जिसमें रश्मि शुक्ला पर ही एक करोड़ रुपये बकाया होने का दावा किया गया। यह जानकारी मिलने पर रश्मि हैरान रह गई। जमीन के बदले दिए गए 22 लाख रुपये फंसने पर पीड़िता ने बीकेटी कोतवाली में तहरीर दी। रश्मि के मुताबिक ऊषा चौधरी व उसका पति पहले भी कई लोगों से धोखाधड़ी कर चुके हैं। तीन अगस्त को आरोपी दम्पति को हसनराज पुलिस ने मो शाबाद से धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इंस्पेक्टर बीकेटी ब्रजेश चंद्र तिवारी ने बताया कि आरोपों की जांच की जा रही है।
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धोखाधड़ी से बचने के लिए आधार का सत्यापन जरूरी
- धोखाधड़ी से बचने के लिए प्रस्तुत किए गए आधार को भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्वीकार करने से पहले सत्यापित करना चाहिए।
- भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का मानना है कि आधार धारक की सहमति के बाद आधार संख्या का सत्यापन आधार के किसी भी रूप (आधार पत्र, ई-आधार, आधार पीवीसी कार्ड और एम-आधार) की वास्तविकता स्थापित करने के लिए सही कदम है क्योंकि यह आपको किसी भी संभावित धोखाधड़ी से बचाता है।
- यह खासकर संस्थाओ के लिए मददगार साबित हो सकता है जो लोग कामवाली/नौकरानी/गार्ड या अन्य किसी व्यक्ति की सेवा लेते है। ऐसे लोग या संस्था इस सेवा का उपयोग करके किसी भी व्यक्ति के आधार की वैधता को सत्यापित करके उसका सही पता लगा सकते है।
- यह प्रक्रिया असामाजिक तत्वों को आधार के किसी भी संभावित दुरुपयोग में शामिल होने से रोकता है। आधार दस्तावेजों से छेड़छाड़ का पता ऑफ़लाइन सत्यापन द्वारा लगाया जा सकता है। आधार के साथ किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ एक दंडनीय अपराध है और आधार अधिनियम की धारा 35 के तहत इसमें दंड का प्रावधान है।