Jharkhand Politics: पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले एक नई राजनीतिक पार्टी के गठन की संभावना जताई है। रविवार की शाम हजारीबाग के अटल सेवा केंद्र में आयोजित बैठक के दौरान, सिन्हा ने अपने समर्थकों के साथ नई पार्टी बनाने पर चर्चा की। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भी अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा की है।
नई पार्टी का नाम और उद्देश्य
सूत्रों के अनुसार, यशवंत सिन्हा ने अपनी नई पार्टी का नाम ‘अटल विचार मंच’ (एवीएम) प्रस्तावित किया है। यह नाम दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांतों को अपनाने का प्रतीक होगा। बैठक के दौरान, भाजपा के पूर्व कार्यकारी सदस्य और पूर्व सांसद जयंत सिन्हा के प्रतिनिधि सुरेंद्र कुमार सिन्हा ने बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में जयंत सिन्हा और यशवंत सिन्हा दोनों के समर्थक शामिल हुए और नई पार्टी के प्रति उत्साह व्यक्त किया।
समर्थकों की प्रतिक्रिया और पार्टी की संभावनाएं
बैठक में मौजूद एक समर्थक ने बताया कि यशवंत सिन्हा ने ‘अटल विचार मंच’ के गठन पर बल दिया, जो झारखंड के मतदाताओं के लिए एक नया विकल्प प्रदान करेगा। पार्टी के गठन की प्रक्रिया को लेकर सिन्हा ने समाज के विभिन्न वर्गों से परामर्श करने के बाद जल्द ही अंतिम निर्णय लेने की बात की है। समर्थकों का मानना है कि यह नई पार्टी राज्य की राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।
यशवंत सिन्हा का राजनीतिक इतिहास
यशवंत सिन्हा, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं, हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से तीन बार सांसद रह चुके हैं। 1998, 1999 और 2009 में उन्होंने हजारीबाग सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि, 2004 में उन्हें सीपीआई उम्मीदवार भुवनेश्वर मेहता से हार का सामना करना पड़ा था। 2014 में भाजपा ने उनके बेटे जयंत सिन्हा को हजारीबाग सीट के लिए उम्मीदवार बनाया, जबकि हाल के लोकसभा चुनावों में मनीष जायसवाल ने इस सीट पर जीत हासिल की थी।
चंपई सोरेन की नई पार्टी का मुकाबला
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले, चंपई सोरेन ने भी अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा की है। ऐसे में, यशवंत सिन्हा की नई पार्टी ‘अटल विचार मंच’ का गठन राज्य में एक नई राजनीतिक धारा को जन्म दे सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन नई पार्टियों का राज्य की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा और झारखंड के मतदाता किस विकल्प को स्वीकार करेंगे।
आगे की रणनीति
यशवंत सिन्हा और चंपई सोरेन की नई पार्टियों के गठन से झारखंड की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है। सिन्हा की पार्टी की रणनीति और चुनावी मुद्दों पर निर्णय के बाद, आगामी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक समीकरणों में बड़े बदलाव की संभावना है। झारखंड के मतदाता अब नए विकल्पों की ओर देख रहे हैं और यह चुनाव उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप हो सकता है।