Puja Khedkar: महाराष्ट्र की पूर्व ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर (Puja Khedkar) को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत देने की अर्जी को खारिज कर दिया हैय. पूजा खेडकर के खिलाफ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें उन पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है. कोर्ट ने पूजा की अदालत में मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहकर अदालत की प्रक्रिया की अनदेखी की है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आरोपी पूरे सेशन में एक बार भी उपस्थित नहीं होती, तो उसे हमेशा उपस्थित नहीं माना जाएगा.
आरोप और कानूनी कार्रवाई
पूजा खेडकर (Puja Khedkar) पर यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी प्रस्तुत करने का आरोप है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने यूपीएससी की शिकायत पर उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. बुधवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जंगला ने पूजा खेडकर द्वारा दायर अग्रिम जमानत की अर्जी पर दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था.
अर्जी में पूजा खेडकर का दावा
अर्जी में पूजा खेडकर (Puja Khedkar) ने दावा किया कि उन्हें गिरफ्तारी का खतरा है. इसके विपरीत, अभियोजन पक्ष ने इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि खेडकर ने अदालत की व्यवस्था को धोखा दिया है. अदालत की कार्यवाही के दौरान, पूजा खेडकर ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अग्रिम जमानत की मांग की.
वकील का बयान और आयोग की कार्रवाई
पूजा खेडकर (Puja Khedkar) की वकील बीना महादेवन ने अदालत से कहा, “मैंने (खेडकर ने) यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई है, और इसके चलते मेरे खिलाफ यह सब हो रहा है. यह सब जिलाधिकारी के इशारे पर हो रहा है, जिनके खिलाफ मैंने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. उस व्यक्ति ने मुझे एक निजी कमरे में बैठने के लिए कहा, लेकिन मैंने स्पष्ट किया कि मैं एक योग्य आईएएस हूं और ऐसा नहीं करूंगी। मैं अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अग्रिम जमानत का अनुरोध कर रही हूं.”
यूपीएससी ने कड़ा कदम उठाया
पूजा खेडकर (Puja Khedkar) पर लगे आरोपों के चलते यूपीएससी ने कड़ा कदम उठाया है. आयोग ने खेडकर को भविष्य में किसी भी परीक्षा या चयन प्रक्रिया में भाग लेने से आजीवन रोक लगा दी है. साथ ही, सिविल सेवा परीक्षा 2022 में उनकी उम्मीदवारी को भी रद्द कर दिया गया है.खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने एक प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी के रूप में उन सुविधाओं की मांग की, जिनका उन्हें अधिकार नहीं था. इसके अलावा, उन पर एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने और अपने पद का दुरुपयोग करने का भी आरोप है. जिलाधिकारी सुहास दिवसे ने वरिष्ठ अधिकारियों को खेडकर के आचरण के बारे में जानकारी दी थी.
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