GN Saibaba Passed Away: दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा (GN Saibaba) का शनिवार को दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में निधन हो गया. वह 54 वर्ष के थे और पिछले दो सप्ताह से पित्ताशय (गॉल ब्लैडर) के संक्रमण से पीड़ित थे. उनका ऑपरेशन हुआ था, लेकिन ऑपरेशन के बाद उत्पन्न जटिलताओं के कारण उनकी स्थिति बिगड़ती चली गई. शनिवार रात करीब नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. साईबाबा को निजाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (NIMS) में भर्ती कराया गया था, जहां वे पिछले 20 दिनों से इलाज करवा रहे थे.
बरी होने के बाद मिला था नया जीवन
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि साईबाबा (GN Saibaba) को मार्च 2024 में बंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने माओवादियों से कथित संबंधों के एक मामले में बरी कर दिया था. अदालत ने कहा था कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका और उनकी आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया गया था. अदालत ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप लगाने के लिए प्राप्त अभियोजन पक्ष की मंजूरी को अमान्य करार दिया था. बरी होने के बाद, साईबाबा व्हीलचेयर पर बैठकर 10 साल बाद नागपुर केंद्रीय कारागार से बाहर आए थे.
स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते रहे साईबाबा
जी एन साईबाबा (GN Saibaba) लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे. अगस्त 2024 में उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो चुका था, लेकिन नागपुर केंद्रीय कारागार के अधिकारियों ने नौ महीने तक उन्हें अस्पताल नहीं ले जाया और केवल दर्द निवारक दवाएं दी. साईबाबा (GN Saibaba) ने दावा किया था कि उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा थी और उन्हें चुप कराने के लिए उन्हें फंसाया गया था.
Read More: Masaba Gupta बनी मां, सोशल मीडिया पर शेयर की बेटी की पहली झलक
पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के समय दुर्व्यवहार का आरोप
जी एन साईबाबा (GN Saibaba) ने यह भी आरोप लगाया था कि जब उन्हें महाराष्ट्र पुलिस ने 2014 में गिरफ्तार किया, तो पुलिस ने उन्हें व्हीलचेयर से घसीटा, जिससे उन्हें गंभीर चोट लगी और उनके तंत्रिका तंत्र पर असर पड़ा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उनके घर आए और उनके परिवार को धमकाया.
वामपंथी संगठनों और नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
जी एन साईबाबा (GN Saibaba) के निधन पर वामपंथी संगठनों और नेताओं ने शोक व्यक्त किया. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक के संबाशिव राव ने उनके निधन को समाज के लिए एक बड़ी क्षति बताया. वहीं, वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनके साहस और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की.
संगठन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “अलविदा प्रोफेसर! आपका अदम्य साहस और न्याय के प्रति आपकी प्रतिबद्धता हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी.”साईबाबा का जीवन संघर्ष और न्याय की लड़ाई का प्रतीक बना रहेगा. उनके निधन से उनके समर्थकों और छात्रों में शोक की लहर है.